गर्भवती बलात्कार पीड़िता को कानूनी अधिकारों के बारे में जानकादी दी जानी चाहिए: उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: March 12, 2021 17:34 IST2021-03-12T17:34:41+5:302021-03-12T17:34:41+5:30

Pregnant rape victim should be made aware of legal rights: Supreme Court | गर्भवती बलात्कार पीड़िता को कानूनी अधिकारों के बारे में जानकादी दी जानी चाहिए: उच्चतम न्यायालय

गर्भवती बलात्कार पीड़िता को कानूनी अधिकारों के बारे में जानकादी दी जानी चाहिए: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 12 मार्च उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि गर्भवती हुई बलात्कार पीड़िता को उसके कानूनी अधिकारों के बारे में अवश्य जानकारी दी जानी चाहिए।

साथ ही न्यायालय ने 20 सप्ताह से ज्यादा अवधि के अवांछित गर्भ के समापन के मामलों में निर्णय लेने के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में मेडिकल बोर्ड गठित करने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। केन्द्र को चार सप्ताह में नोटिस का जवाब देना है।

गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 की धारा तीन के तहत 20 सप्ताह के बाद गर्भपात कराना प्रतिबंधित है।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा, '' अगर एक महिला का बलात्कार होता है और वह गर्भवती है तो उसे उसके कानूनी अधिकारों के बारे में अवश्य बताया जाना चाहिए।''

पीठ ने 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की ओर से पेश वकील वीके बिजु द्वारा सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में मेडिकल बोर्ड गठित करने के अनुरोध का संज्ञान लिया।

विजु ने स्पष्ट चिकित्सकीय सलाह के बाद पीड़िता के 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति का अनुरोध नहीं करने का निर्णय लिया।

इससे पहले, पीड़िता के गर्भपात की अनुमति दिए जाने के अलावा याचिका में 20 सप्ताह से अधिक समय बाद अनचाहे गर्भ को समाप्त करने के बाबत मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिए दिशा-निर्देश तय करने का अनुरोध किया गया था।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान बिजु ने कहा कि वह फिलहाल गर्भपात की अनुमति नहीं मांग रहे हैं लेकिन राज्यों में मेडिकल बोर्ड गठित करने का अनुरोध कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, '' जब मैं इस याचिका को तैयार कर रहा था, तब मैंने माता-पिता (लड़की के) का दर्द महसूस किया है।''

पीठ ने इस मामले में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि इस तरह के मामलों को देखने के लिए अगर स्थानीय बोर्ड है तो यह काफी मददगार साबित होगा।

भाटी ने कहा कि वह इस मामले से संबंधित मुद्दों की जानकारी देने वाला एक शपथपत्र दायर करेंगी।

पीठ एक नाबालिग लड़की की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कहा है कि एक रिश्तेदार ने उसके साथ बलात्कार किया और वह गर्भवती हो गई।

शीर्ष अदालत ने पूर्व में भी केंद्र और हरियाणा सरकार से इस मामले में जवाब तलब किया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Pregnant rape victim should be made aware of legal rights: Supreme Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे