जनसंख्या नियंत्रण मुद्दे को राजनीति से अलग किया जाना चाहिए: सरमा
By भाषा | Updated: July 19, 2021 22:39 IST2021-07-19T22:39:18+5:302021-07-19T22:39:18+5:30

जनसंख्या नियंत्रण मुद्दे को राजनीति से अलग किया जाना चाहिए: सरमा
(इंट्रो में सुधार के साथ)
गुवाहाटी, 19 जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को राजनीति से अलग करने और राज्य के मुस्लिमों के बीच समस्या को हल करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विवाह समाप्त करने और वित्तीय समावेशन पर जोर देते हुए एक यथार्थवादी समाधान अपनाने का आह्वान किया।
सरमा ने कहा कि समस्या मुस्लिम बहुल जिलों में ज्यादा है।
सरमा ने विपक्षी कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद द्वारा अल्पसंख्यक 'चार-चपोरिस' के मुस्लिमों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर शुरू की गई चर्चा के दौरान दावा किया विधानसभा के सभी सदस्यों द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि निचले और मध्य असम के अल्पसंख्यकों में जनसंख्या वृद्धि चिंता का विषय है।
चर्चा में भाग लेने वाले विपक्षी सदस्यों ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिक रूप से उपयोग करने से समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि अकेले मुसलमानों के लिए जनसंख्या नियंत्रण नीति नहीं होनी चाहिए।
2011 की जनगणना के अनुसार, असम की 3.12 करोड़ की कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या 34.22 प्रतिशत है और वे कई जिलों में बहुसंख्यक हैं।
मुसलमानों के बीच जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने के लिए, विशेष रूप से 'चार-चपोरिस' में बसे लोगों के बीच, अहमद ने शैक्षिक संस्थानों की स्थापना, बाल विवाह रोकने, स्वास्थ्य और संचार सेवाओं में सुधार, जनसंख्या प्रतिनिधित्व के आधार पर सरकारी और निजी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने और सुविधा प्रदान करने और महिलाओं में जन्म नियंत्रण उपायों की आसान उपलब्धता का प्रस्ताव रखा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार को नौकरियों से संबंधित प्रस्तावों को छोड़कर अन्य प्रस्तावों पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह योग्यता के आधार पर होना चाहिए न कि जनसंख्या प्रतिनिधित्व पर।
उन्होंने कहा कि सदन मंगलवार को बिना किसी बहस के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगा।
सरमा ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि यह प्रस्ताव कांग्रेस विधायक की ओर से आया है। अगर यह मेरी ओर से आता, तो लोग कहते कि मैं राजनीति कर रहा हूं। मैं विपक्षी सदस्य को चर्चा शुरू करने के लिए धन्यवाद देता हूं क्योंकि हमारी जनसंख्या नीति मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि गरीबी विरोधी है।’’
सरमा ने कहा कि सरकार पहले ही मुस्लिम महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक चीजें वितरित करने के लिए 10,000 आशा कार्यकर्ताओं को नियुक्त करने और समुदाय के सदस्यों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए 1,000 युवाओं वाली एक जनसंख्या सेना की स्थापना करने की पहले ही योजना बना चुकी है।
उन्होंने कहा कि सरकार बाल विवाह को रोकने के लिए लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर भी विचार कर रही है, जबकि लड़कियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों के विस्तार के उपाय शुरू किए गए हैं और स्वास्थ्य सुविधाओं, संचार नेटवर्क और महिलाओं के वित्तीय समावेशन में सुधार के उपाय किए जाएंगे।
2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि पहले के 34 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत हो गई है, जबकि हिंदुओं में 19 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह गई है।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के जाकिर हुसैन सिकदर ने कहा कि इस समस्या से पूरी ईमानदारी के साथ निपटा जाना चाहिए।
सिकदर ने कहा, ‘‘जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त कानून होना चाहिए लेकिन यह सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं होना चाहिए।’’
एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने कहा कि इस मुद्दे को एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
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