पूर्वोत्तर व आकांक्षी जिलों में शिक्षकों के काम करने की स्थिति खराब : यूनेस्को रिपोर्ट
By भाषा | Updated: October 5, 2021 19:59 IST2021-10-05T19:59:15+5:302021-10-05T19:59:15+5:30

पूर्वोत्तर व आकांक्षी जिलों में शिक्षकों के काम करने की स्थिति खराब : यूनेस्को रिपोर्ट
नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर यूनेस्को की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्वोत्तर और "आकांक्षी जिलों" में शिक्षकों के काम करने की स्थिति खराब है तथा ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के बीच बुनियादी सुविधाओं के साथ ही सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) संबंधी ढांचे को लेकर असमानता है।
यूनेस्को की ‘‘2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: नो टीचर, नो क्लास’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिक्षकों की उपलब्धता में सुधार हुआ है लेकिन माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात अब भी अच्छा नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों की मौजूदा संख्या को देखते हुए शिक्षण कार्यबल में 10 लाख से अधिक शिक्षकों की कमी है तथा प्रारंभिक बचपन की शिक्षा, विशेष शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, संगीत, कला और व्यावसायिक शिक्षा जैसे विषयों तथा कुछ शिक्षा स्तरों पर शिक्षकों की कमी को देखते हुए इसकी आवश्यकता बढ़ने का अनुमान है।
इसमें कहा गया है कि 15 वर्षों में मौजूदा कार्यबल के लगभग 30 प्रतिशत हिस्से को बदलने की जरूरत होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में योग्य शिक्षकों की उपलब्धता और नियुक्ति दोनों में सुधार करने की आवश्यकता है। बुनियादी सुविधाओं के मामले में, पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों में शिक्षकों के काम करने की स्थिति खराब है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शिक्षण पेशे का "औसत दर्जा " है, लेकिन यह खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और युवाओं के लिए पसंदीदा पेशा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी स्कूल के शिक्षक और बच्चों के शिक्षक अत्यधिक कमजोर समूह हैं तथा उनमें से कई कम वेतन पर बिना किसी अनुबंध के काम करते हैं और उन्हें स्वास्थ्य या मातृत्व अवकाश का लाभ भी नहीं मिलता। रिपोर्ट में शिक्षकों के लिए और अधिक "पेशेवर स्वायत्तता" पर बल देते हुए कहा गया है, "सार्वजनिक धारणा के विपरीत, शिक्षकों पर काफी कार्यभार है।
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