नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के बाद झारखंड के सबसे गरीब होने पर राजनीति गर्म

By भाषा | Updated: November 26, 2021 23:50 IST2021-11-26T23:50:08+5:302021-11-26T23:50:08+5:30

Politics heats up when Jharkhand is the poorest after Bihar in NITI Aayog report | नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के बाद झारखंड के सबसे गरीब होने पर राजनीति गर्म

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के बाद झारखंड के सबसे गरीब होने पर राजनीति गर्म

रांची, 26 नवंबर नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब तीन राज्यों के रूप में सामने आए हैं जिसके बाद इन आंकड़ों को लेकर झारखंड में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर प्रारंभ हो गया है। जहां मुख्य विपक्षी भाजपा ने इसे राज्य की हेमंत सरकार की विफलता के तौर पर पेश किया है वहीं सत्ताधारी झामुमो एवं कांग्रेस ने इस स्थिति के लिए पिछली सरकार को दोषी ठहराया है।

नीति आयोग द्वारा जारी सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है जबकि झारखंड में 42.16 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत आबादी गरीबी में रह रही है। सूचकांक में मध्य प्रदेश (36.65 प्रतिशत) चौथे स्थान पर है, जबकि मेघालय (32.67 प्रतिशत) पांचवें स्थान पर है।

इस सूचकांक में केरल (0.71 प्रतिशत), गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) पूरे देश में सबसे कम गरीब जनता वाले राज्य हैं और सूचकांक में सबसे नीचे हैं।

नीति आयोग की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद झारखंड में मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि वास्तव में हेमंत सोरेन सरकार अधिकारियों के स्थानांतरण कर उससे उगाही में इस तरह व्यस्त है कि केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करने में पूरी तरह विफल रही है।

उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार केन्द्र की योजनाओं के लाभ आम जनता तक पहुंचा पाती तो राज्य की यह हालत नहीं होती।

दूसरी ओर सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या अपने शासन में भाजपा सो रही थी? उन्होंने कहा कि राज्य में अधिकाधिक समय भाजपा ही सत्ता में रही है तो उसे ही जवाब देना होगा कि राज्य में गरीबी का यह आलम क्यों है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि वास्तव में हेमंत सोरेन की सरकार राज्य से गरीबी दूर करने के लिए बड़े स्तर पर काम कर रही है तथा गरीबों को अधिकाधिक पेंशन योजनाओं से जोड़ा जा रहा है एवं लाखों लोगों को नये राशन कार्ड जारी किये गये हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में कुपोषित लोगों की संख्या सबसे अधिक है, जिसके बाद झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान है।

मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी का प्रतिशत, स्कूली शिक्षा से वंचित आबादी, स्कूल में उपस्थिति और खाना पकाने के ईंधन तथा बिजली से वंचित आबादी के प्रतिशत के मामले में भी बिहार का सबसे खराब स्थान है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत और मजबूत पद्धति का उपयोग कर तैयार किया जाता है।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक में मुख्य रूप से परिवार की आर्थिक हालात और अभाव की स्थिति को आंका जाता है।

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Web Title: Politics heats up when Jharkhand is the poorest after Bihar in NITI Aayog report

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