महाधिवक्ता के कार्यालय का राजनीतिकरण करना इसकी संवैधानिक कामकाज की गरिमा को कमतर करना है: तिवारी
By भाषा | Updated: November 10, 2021 14:03 IST2021-11-10T14:03:59+5:302021-11-10T14:03:59+5:30

महाधिवक्ता के कार्यालय का राजनीतिकरण करना इसकी संवैधानिक कामकाज की गरिमा को कमतर करना है: तिवारी
नयी दिल्ली, 10 नवंबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने पंजाब में महाधिवक्ता के पद से एपीएस देओल के इस्तीफा देने के बाद बुधवार को कहा कि महाधिवक्ता के कार्यालय का राजनीतिकरण करने का मतलब इसकी संवैधानिक कामकाज की गरिमा को कमतर करना है।
उन्होंने यह भी कहा कि नये महाधिवक्ता की नियुक्ति करते समय पंजाब सरकार को बार काउंसिल की ओर से तय मानकों का अनुसरण करना चाहिए।
लोकसभा सदस्य ने ट्वीट किया, ‘‘पंजाब सरकार नया महाधिवक्ता नियुक्त करने जा रही है, तो ऐसे में उसे सलाह है कि वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से तय पेशेवर मानकों के नियमों का अनुसरण करे।’’
उन्होंने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कलह का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘महाधिवक्ता के कार्यालय का राजनीतिकरण करने से संवैधानिक कामकाज की गरिमा कमतर होती है। पंजाब के पहले के दोनो महाधिवक्ता छद्म राजनीतिक युद्ध के शिकार बन गए।’’
तिवारी ने जोर देकर कहा कि जो लोग महाधिवक्ता के कार्यालय की संस्था को कमजोर करते हैं उन्हें यह याद रखने की जरूरत है कि एक वकील का अपने अपने ग्राहक के साथ पेशेवर रिश्ता होता है, कोई जन्म-जन्मांतर का बंधन नहीं होता है।
गौरतलब है कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के दबाव के आगे झुकते हुए राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को महाधिवक्ता एपीएस देओल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि नये महाधिवक्ता को बुधवार को नियुक्त किया जाएगा।
राज्य के महावधिवक्ता के तौर पर देओल की और राज्य के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक के तौर पर इकबाल प्रीत सिंह सहोटा की नियुक्तियों का सिद्धू द्वारा सख्त विरोध किये जाने के बीच यह घटनाक्रम हुआ है।
देओल ने 2015 की बेअदबी घटनाओं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस गोलीबारी से जुड़े मामलों में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी का प्रतिनिधित्व किया था।
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