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आतंकी बनने चले 6 युवकों को पुलिस ने रोका, बीते दो महीने में 22 युवकों को परिवारवालों के हवाले कर पुलिस ने की कामयाबी हासिल

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: March 3, 2020 19:10 IST

जम्मू-कश्मीर: पिछले दो महीनों में आतंकी बनने की कोशिश करने वाले 22 युवकों को उनके परिवारवालों के हवाले किया जा चुका है तथा पिछले साल यह आंकड़ा 50 से ज्यादा था।

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ठळक मुद्देपुलिस ने कश्मीर में करीब 22 लड़कों को आतंकी संगठनों की चंगुल से बचाया है।कुछ लड़के आइएसआइएस और अलकायदा की विचारधारा से भी प्रभावित थे।

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस ने काउंसलिंग के बाद उन 6 कश्मीरी युवकों को उनके परिवारों को सौंप दिया जो आतंकी बनने की खातिर सीमा पार जा कर आतंकवाद की ट्रेनिंग लेना चाहते थे और एलओसी को क्रास करने की कोशिश में थे। इतना जरूर था कि पिछले दो महीनों में आतंकी बनने की कोशिश करने वाले 22 युवकों को उनके परिवारवालों के हवाले किया जा चुका है तथा पिछले साल यह आंकड़ा 50 से ज्यादा था।

आतंकी गुटों में स्थानीय युवकों की भर्ती पर रोक लगाने के अपने अभियान को जारी रखते हुए पुलिस ने छह और युवकों को समय रहते बचा लिया। इन युवकों को काउंसलिंग के बाद उनके परिजनों के हवाले किया गया है। बीते दो माह के दौरान पुलिस ने कश्मीर में करीब 22 लड़कों को आतंकी संगठनों की चंगुल से बचाया है।

सूत्रों ने बताया कि जिला बडगाम के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले छह युवक बीते कुछ दिनों से लगातार आतंकी संगठनों के हैंडलरों के साथ लगातार संपर्क में थे। इनमें से कुछ लड़के आइएसआइएस और अलकायदा की विचारधारा से भी प्रभावित थे। यह सभी लड़के आतंकी संगठनों में सक्रिय होने के लिए अपने अपने घरों से निकल रहे थे। इस बीच, पुलिस को अपने तंत्र से इनके बारे में पता चला। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन्हें पकड़ लिया। इन युवकों की गिरफ्तारी में इनके परिजनों की भूमिका भी अहम रही। उन्होंने भी अपने संसाधनों से पुलिस को पूरा सहयोग किया।

इन युवकों के खिलाफ पुलिस ने किसी तरह का कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया है। इन युवकों को कौंसलिंग प्रदान करते हुए उन सभी कारणों का पता लगाने का प्रयास किया गया है जिनसे प्रभावित हो यह जिहादी संगठनो का हिस्सा बन रहे थे। इन युवकों से पुलिस को सोशल मीडिया व अन्य तरीकों से सक्रिय आतंकी संगठनों में भर्ती करने वाले उनके ओवरग्राउंड वर्करों के काम करने का तरीका भी पता चला है। इन सभी को आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद इनके अभिभावको के हवाले किया गया गया है।

पुलिस प्रवक्ता ने बडगाम में छह युवकों को आतंकियों के जाल में फंसने से बचाए जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां अपने नेटवर्क के जरिए आतंकी संगठनों के लिए नयी भर्ती में जुटे तत्वों की लगातार निगरानी कर रही हैं। बीते दिनों के दौरान ऐसे कई तत्व पकड़े गए हैं। इसके अलावा जिहादी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती रोकने के लिए सभी उपाय लागू किए जा रहे हैं। इन्हीं उपायों के चलते 22 लड़कों को जिहादी बनने से बचाया गया है। इनमें से 10 लड़के उत्तरी कश्मीर के जिला बारामुला में ही पुलिस द्वारा पकड़े गए हैं

याद रहे पिछले साल नवम्बर महीने में सेना की चिनार कोर ने ऑपरेशन मां शुरू किया था। इस ऑपरेशन में चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के निर्देश पर घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाना और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना था। पुलवामा हमले के बाद सेना ने घाटी में सभी माताओं से अपने बच्चों को वापस लौटने के लिए अपील करने को कहा था।

सेना ने कहा था कि मां एक बड़ी भूमिका में होती है और वे अपने बच्चों को वापस बुला सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मारे जाएंगे। पिछले साल करीब 50 ऐसे युवा आतंकी संगठनों को छोड़कर वापस लौटे हैं। कई आतंकी आत्मसमर्पण करने के बाद पढ़ रहे हैं। कुछ अपने पिता का हाथ बंटा रहे हैं तो कुछ खेतों में काम कर रहे हैं। पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि ऐसे युवाओं को निशाने बनाए। ऐसे में इनकी पहचान छुपाई जाती है।

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