पुलिस ने वीडियो साझा करने पर ट्विटर, पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया

By भाषा | Updated: June 16, 2021 20:47 IST2021-06-16T20:47:55+5:302021-06-16T20:47:55+5:30

Police registers case against Twitter, journalists for sharing video | पुलिस ने वीडियो साझा करने पर ट्विटर, पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया

पुलिस ने वीडियो साझा करने पर ट्विटर, पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया

गाजियाबाद, 16 जून उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित करने के सिलसिले में माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर, एक समाचार पोर्टल और छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस वीडियो में एक बुजुर्ग मुसलमान गाजियाबाद में कुछ लोगों के कथित हमले के बाद अपनी व्यथा सुनाता दिख रहा है। पुलिस का कहना है कि यह वीडियो साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए साझा किया गया था।

गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस थाने में एक स्थानीय पुलिसकर्मी ने शिकायत दर्ज कराई और उसके आधार पर मंगलवार रात करीब 11.30 बजे प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें आरोप लगाया गया है कि वीडियो को साम्प्रदायिक अशांति भड़काने के इरादे से साझा किया गया था।

पुलिस ने क्लिप साझा करने को लेकर ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशन्स इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकारों मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब, कांग्रेस के नेताओं सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी, डॉ शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘इन लोगों ने मामले की सच्चाई की पुष्टि नहीं की और सार्वजनिक शांति को बाधित करने एवं धार्मिक समूहों के बीच विभाजन के इरादे से इसे साम्प्रदायिक पहलू देकर ऑनलाइन साझा किया।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इसके अलावा, ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशन्स इंडिया ने भी इन ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।’’

सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए वीडियो क्लिप में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया कि कुछ युवकों ने उनकी पिटाई की और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा, लेकिन गाजियाबाद पुलिस ने घटना के पीछे कोई साम्प्रदायिक कारण होने से इनकार किया और कहा कि आरोपी उस ताबीज से नाखुश थे जो सैफी ने उन्हें बेचा था। पुलिस ने सैफी पर हमला करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

गाजियाबाद (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक इरास राजा ने बुधवार को बताया कि सैफी को पीटने के आरोप में कल्लू गुर्जर, प्रवेश गुर्जर और आदिल को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस चार अन्य लोगों पोली, हिमांशु, आरिफ और मुर्शिद को भी तलाश रही है।

ट्विटर और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी में कहा गया है कि गाजियाबाद पुलिस ने घटना के तथ्यों के साथ एक स्पष्टीकरण बयान जारी किया था, इसके बावजूद आरोपी ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो नहीं हटाया।

इसमें कहा गया है कि पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया था कि सैफी पर हमला करने वालों में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम व्यक्ति भी शामिल थे और यह घटना साम्प्रदायिक नहीं थी, बल्कि उनके बीच निजी विवाद का परिणाम थी।

प्राथमिकी दर्ज किए जाने से कुछ घंटे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साधा था।

इस बीच प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने भी पुलिसिया कार्रवाई का संज्ञान लिया और मांग की कि पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी रद्द की जानी चाहिए क्योंकि यह गाजियाबाद पुलिस द्वारा ‘‘बदले की भावना’’ से की गई कार्रवाई प्रतीत होती है ताकि मीडिया एवं समाज में ‘‘आतंक का माहौल बनाया जा सके।’’

इसने बयान जारी कर कहा, ‘‘पीसीआई उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करता है कि मामले में हस्तक्षेप करे ताकि पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें आसान निशाना नहीं बनाया जा सके।’’

प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153ए (धर्म, वर्ग आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करना), 120बी (आपराधिक साजिश) और अन्य के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई के मामले पर मंगलवार को कहा कि ऐसी क्रूरता समाज और धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है। दूसरी तरफ, आदित्यनाथ ने ,गांधी पर समाज में जहर फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस नेता उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना बंद करें।

राहुल गांधी ने इस घटना से संबंधित एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘‘मैं ये मानने को तैयार नहीं हूं कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं। ऐसी क्रूरता मानवता से कोसों दूर है और समाज व धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है।’’

योगी आदित्यनाथ ने उनके ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘‘प्रभु श्री राम की पहली सीख है-‘‘सत्य बोलना’’ जो आपने कभी जीवन में किया नहीं। शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप समाज में जहर फैलाने में लगे हैं। सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें।

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Web Title: Police registers case against Twitter, journalists for sharing video

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