मलयाली कवि विष्णुनारायण नम्बूदरी नहीं रहे, जानें इनके बारे में
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 25, 2021 04:04 PM2021-02-25T16:04:37+5:302021-02-25T20:56:59+5:30
समकालीन मलयाली साहित्य के प्रतिष्ठित कवि को 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पत्तनमत्तिट्टा जिले के तिरुवल्ला में जन्मे नम्बूदरी का काम आधुनिकता और परंपराओं के परस्पर मेल के लिए जाना जाता है।
तिरुवनंतपुरमः मलयाली भाषा के लोकप्रिय कवि विष्णुनारायण नम्बूदरी का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। वह 81 वर्ष के थे।
समकालीन मलयाली साहित्य के प्रतिष्ठित कवि को 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पत्तनमत्तिट्टा जिले के तिरुवल्ला में जन्मे नम्बूदरी का काम आधुनिकता और परंपराओं के परस्पर मेल के लिए जाना जाता है। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनका निधन आज दोपहर आवास पर हुआ।
उन्हें केरल साहित्य अकादमी सहित अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियों में... ‘स्वातंधरते - कुरीच उरु गीतम’, ‘भूमिगीतांजल’, ‘इंडिया एन्ना विक्रम’, ‘अपराजिता’, ‘अरण्यकम’ आदि शामिल हैं। विष्णुनारायण एक शिक्षक के रूप में बहुत सम्मानित थे और समकालीन मलयालम कविता में सबसे प्रसिद्ध नामों में से एक थे।
2 जून, 1939 को इरिंगोलिल, तिरुवल्ला में जन्मे विष्णुनारायण ने कोझीकोड, पट्टंबी, कोल्लम, एर्नाकुलम, त्रिपुनिथुरा, चित्तूर और थालास्सेरी के सरकारी कॉलेजों में साहित्य पढ़ाया। 'भूमिगीतंगल' के लिए 1979 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1994 में केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इसके अलावाओडाकुझल पुरस्कार, वल्लथोल पुरस्कार, वायलार पुरस्कार और एझुथाचन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
मलयालम भाषा के कवि विष्णुनारायण नम्बूदरी के निधान पर प्रधानमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को मलयालम भाषा के प्रख्यात कवि विष्णुनारायण नम्बूदरी के निधन पर शोक जताया और कहा कि संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। विष्णुनारायण नम्बूदरी का केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उनकी गिनती समकालीन मलयालय साहित्य के श्रेष्ठ साहित्यकारों में होती है। वर्ष 2014 में उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया था। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘श्री विष्णुनारायण नम्बूदरी के निधन से बहुत दुख हुआ है। संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी कृतियां उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती हैं। उनके परिजनों और चाहने वालों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं।’’