भोपाल, 15 नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आदिवासियों के कल्याण की कथित रूप से अनदेखी करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं जो ‘‘पिछले’’ शासन के दौरान पिछड़े रहे थे।
मोदी ने बिरसा मुंडा की जयंती पर यहां ‘जनजातीय गौरव दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व की सरकारों ने आदिवासियों को उनका हक नहीं दिया और बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘ आदिवासी समाज को उचित महत्व, प्राथमिकता न देकर पहले की सरकार ने जो अपराध किया है उसे हर मंच से बोला जाना जरुरी है। कैसे देश में कुछ राजनीतिक दलों ने सुख सुविधा व विकास से आदिवासी समाज को वंचित रखा। चुनाव के नाम पर, अभावों के नाम पर वोट मांगे गए, सत्ता पाई गई लेकिन समुदाय के लिए जितना और जब करना चाहिए था, वह कम पड़ गया और जनजाति समाज को असहाय छोड़ दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज अब देश के विकास में भागीदार है और भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से वह लाभान्वित हो रहे हैं।
केंद्र सरकार 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में आदिवासी नायक बिरसा मुंडा की जयंती मना रही है।
मोदी ने कहा, “आंबेडकर जयंती, गांधी जयंती और इसी तरह के अन्य दिनों की तरह, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती (जन्मतिथि) हर साल 15 नवंबर को मनाई जाएगी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आदिवासी बहुल जिले जो पहले (कांग्रेस) शासन के दौरान पिछड़े रहे अब ऐसे 100 आकांक्षी जिलों में विकास हो रहा है।
मोदी ने कहा कि भारत आजादी के बाद पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की कला, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को गर्व से याद किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि गोंड रानी दुर्गावती की वीरता या रानी कमलापति के बलिदान को देश नहीं भूल सकता है। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना भील जनजाति के बहादुर लोगों के बिना नहीं की जा सकती है जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया और बलिदान दिया।
मोदी ने कहा, ‘‘आज जब हम राष्ट्र निर्माण में जनजाति समाज के योगदान की चर्चा करते हैं तो कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास नहीं होता है कि जनजाति समाज का भारत की संस्कृति में कितना बड़ा योगदान है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि जनजाति समाज के योगदान को देश को बताया ही नहीं गया, अंधेरे में ही रखा गया। उन्होंने दावा किया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आजादी के बाद दशकों तक जिन्होंने सरकार चलाई, उन्होंने अपनी स्वार्थ भरी नीति को प्राथमिकता दी, देश की जनजातीय आबादी को नजरअंदाज किया। भारत की सांस्कृतिक यात्रा में जनजाति समाज का योगदान अटूट रहा है।
रामायण काल का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वनवासियों के साथ बिताए समय ने एक राजकुमार को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में अहम योगदान दिया। भगवान राम ने वनवासी समाज के हर पहलू से प्रेरणा पाई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में नई दिल्ली में पद्मश्री पुरस्कार समारोह में जनजातियों के लिए काम कर रहे लोग नंगे पैर आए थे। उन्होंने कहा, ‘‘ जनजातीय समुदाय में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछली सरकारों ने उन्हें अवसर नहीं दिया।’’
मोदी ने कहा कि भारत के बाकी लोगों के साथ जनजातीय समुदाय के लोग अब कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। वह देश के विकास में भागीदार हैं और उनका कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
प्रधानमंत्री ने कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान में बड़े पैमाने पर भागीदारी के लिए जनजातीय समुदाय की प्रशंसा की और दूसरों को उनसे सीखने के लिए कहा।
मोदी ने जनजातीय नायकों बिरसा मुंडा, रानी कमलापति और अन्य की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय की भागीदारी के बिना भारत का विकास संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए भाजपा सरकार द्वारा वन कानूनों में परिवर्तन किए गए हैं। जनजाति समुदाय के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए उनके द्वारा बांस और अन्य वस्तुओं से बनाए गए उत्पादों को ऑनलाइन मंच से देश विदेश में बेचा जा रहा है।
मोदी ने लेखक, इतिहासकार शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘ देश के इतिहासकार बाबा साहेब पुरंदरे को लंबे समय तक याद किया जायेगा। वह हमें छोड़ गए ... । छत्रपति शिवाजी के इतिहास को सामान्य जन तक पहुंचाने में बाबा साहेब का अहम योगदान था। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें कालिदास सम्मान दिया था।’’
इस अवसर पर मोदी ने मध्य प्रदेश में ‘राशन आपके ग्राम’ योजना सहित जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए कई पहल की शुरुआत की।
मोदी ने मध्य प्रदेश सिकल सेल (हीमोग्लोबिन पैथी) मिशन के शुभारंभ के अवसर पर लाभार्थियों को आनुवंशिक परामर्श कार्ड भी दिए।
प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, त्रिपुरा और दादरा और नगर हवेली तथा दमन दीव सहित विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला भी रखी।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में ऐसे 750 विद्यालय खोलने की योजना है।
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