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सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई चुनाव के दौरान रोडशो और बाइक रैली पर बैन लगाने के लिए याचिका

By भाषा | Updated: March 11, 2019 20:36 IST

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष सोमवार को पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह और पर्यावरणविद् शैविका अग्रवाल की इस याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया। पीठ ने इस याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। 

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चुनाव के दौरान रोड शो और बाइक रैलियों के आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के लिये उत्तर प्रदेश के एक पूर्व पुलिस महानिदेशक और एक पर्यावरणविद् ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि इन आयोजनों से निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन होता है और इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष सोमवार को पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह और पर्यावरणविद् शैविका अग्रवाल की इस याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया। पीठ ने इस याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। 

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि चुनाव के दौरान रोड शो और बाइक रैलियों के आयोजन से ध्वनि और वायु प्रदूषण होता है। इस वजह से यातायात अवरूद्ध होता है जिसकी वजह से आम जनता को बहुत ही असुविधा होती है। याचिका के अनुसार निर्वाचन आयोग ने रोड शो और राजनीतिक जुलूस के बारे में निर्देश जारी किये हैं। इनके तहत वाहन पंजीकृत होने चाहिए और गाड़ियों के काफिले में दस से अधिक वाहन नहीं होने चाहिए।

आयोग के निर्देशानुसार दो काफिलों के बीच कम से कम दो सौ मीटर का अंतराल होना चाहिए और इसमें शामिल वाहन आधे से अधिक सड़क को नहीं घेर सकते हैं। रोड शो में शामिल होने वाले व्यक्तियों को पहले से अधिकारियों को इसकी सूचना देनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि ये निर्देश सिर्फ कागजों पर ही हैं और सभी राजनीतिक दल धड़ल्ले से इनका उल्लंघन करते हैं।

याचिका में दावा किया गया है कि वाहनों में सुधार कर ‘इन्हें रथ’ पुकारा जाता है और इनका इस्तेमाल रोडशो में होता है लेकिन यह मोटर वाहन कानून, 1988 और केन्द्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के अनेक नियमों के खिलाफ है। वाहनों में सुधार कर बनाये गये इन रथों में आरामदायक कक्ष, रसोई, शौचालय, हाइ्ड्रालिक लिफ्ट, इंटरनेट और टीवी आदि होता है। ये रथ बहुत ही मंहगे होते हैं और चुनाव आयोग द्वारा स्वीकृत खर्च से इतर होता है।

याचिका में निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह इन रोड शो की अनुमति किसी भी राजनीतिक दल को नहीं दे। 

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