लाइव न्यूज़ :

जनहित याचिका दाखिल करने वालों को अपना ‘होमवर्क’ करना चाहिए, उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: September 27, 2021 19:24 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 26 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जनहित याचिका दाखिल करने वालों को अपना ‘होमवर्क’ करना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि केवल कई चीजों का अनुरोध कर वे दायित्व से मुक्त नहीं हो जाते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि नीति के मामले में कोई कमी दिखाने का दायित्व जनहित याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता का है और इसके समर्थन में कुछ आंकड़ों और उदाहरणों को प्रस्तुत करना चाहिए।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें कोविड-19 से जान गंवाने वालों के आश्रितों के लिए आजीविका सहित अन्य उपायों के अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया गया। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि आंकड़ों और उदाहरण के साथ नयी याचिका दाखिल करे ।

कार्यवाही की शुरुआत में पीठ ने कहा, ‘‘आप देखिए, इस प्रकार की याचिकाओं के साथ समस्या यह है कि आपने एक साथ कई तरह का अनुरोध किया है। यदि आप कोई एक अनुरोध करते हैं तो हम इससे निपट सकते हैं, लेकिन आप एक साथ कई चीज का अनुरोध कर रहे हैं।’’

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सब कुछ अदालत या राज्य पर नहीं छोड़ सकता है और उसे नीति के कार्यान्वयन में कमियों को दर्शाने वाले विशिष्ट उदाहरण या डेटा को प्रदर्शित करना होगा।

याचिकाकर्ता सी अंजी रेड्डी की ओर से पेश अधिवक्ता श्रवण कुमार ने कहा कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के निवासी रमेश का उदाहरण दिया है, जिसने कोविड-19 महामारी के दौरान अस्पताल में भर्ती होने के लिए गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को मुफ्त और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण लाखों रुपये खर्च किए हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘आपको अदालत के समक्ष उचित याचिका और उचित अनुरोध के साथ आना चाहिए। हम मामले में नोटिस जारी करने के लिए तैयार हैं और इसे खारिज नहीं कर रहे हैं लेकिन आपको कुछ आंकड़ों के साथ इसे प्रस्तुत करना चाहिए। हम आंध्र प्रदेश के रमेश कुमार के आधार पर देश स्तर पर निर्देश जारी नहीं कर सकते। उनके बारे में जानकारी का स्रोत क्या है?’’

श्रवण ने कहा कि उन्होंने कुछ आंकड़ों का उल्लेख किया है जो दर्शाता है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के रिक्त पदों को नहीं भरने के कारण लोग निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपना ‘होमवर्क’ करना होगा। उदाहरण, आंकड़ों के जरिए तथ्यों के बारे में बताना होगा ताकि अदालत संबंधित प्राधिकर या सरकार को नोटिस जारी कर सके।

पीठ ने कहा, ‘‘आप केवल एक रिपोर्ट संलग्न कर अदालत से इसका दायित्व संभालने की उम्मीद करते हैं। ये नीतिगत मामले हैं। आप केवल यह नहीं कह सकते कि स्वास्थ्य नीति लागू करें। आप केवल यह नहीं कह सकते कि 2021 के बजट को लागू करें। आपको खामियों के बारे में बताना होगा और यह बताना होगा कि अनुपालन में कैसे चूक हुई है। सिर्फ इसलिए कि यह एक जनहित याचिका है, आप तर्क जुटाने के दायित्व से मुक्त नहीं हो जाते हैं।’’

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और विशिष्ट आंकड़े और उदाहरणों के साथ एक और याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यजहरीली हवा से आफत में लोग?, प्रदूषण से मिलकर लड़ेंगे सभी राजनीतिक दल?

भारतदेश में 216 बड़े बांधों की सुरक्षा को लेकर गंभीर स्थिति?, गंभीर खामियां, तत्काल मरम्मत की जरूरत

पूजा पाठPanchang 18 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 18 December 2025: आज सिंह समेत 4 राशिवालों की आर्थिक स्थिति में होगा सुधार, धन आने की संभावना

कारोबारBank Holiday: आज से लेकर अगले 5 दिनों तक बंद रहेंगे बैंक, जानिए RBI ने क्यों दी लंबी छुट्टी

भारत अधिक खबरें

भारतBMC Elections 2026: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 2026 के नगर निगम चुनावों के लिए करेंगे संयुक्त रैलियां? संजय राउत ने दी बड़ी अपडेट

भारतBMC Elections 2026: नवाब मलिक के नेतृत्व विवाद को लेकर बीजेपी के गठबंधन से इनकार के बीच एनसीपी अकेले चुनाव लड़ने को तैयार

भारतUP: दो साल में भी योगी सरकार नहीं खोज पायी नया लोकायुक्त, जनवरी 2024 में खत्म हो गया था वर्तमान लोकायुक्त का कार्यकाल

भारतLokmat Parliamentary Awards 2025: डॉ. विजय दर्डा ने कहा- लोकमत लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है

भारतLokmat Parliamentary Awards 2025 : आरपीआई प्रमुख रामदास आठवले ने कहा- मैं जिनके साथ रहता हूं उन्हें सत्ता मिलती है