लाइव न्यूज़ :

चिकित्सकों ने सर्दियों के मौसम में लोगों को दी चलते फिरते रहने,कई परतों में कपड़े पहनने की सलाह

By भाषा | Updated: December 5, 2021 17:42 IST

Open in App

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर सर्दियों की शुरूआत होते ही लोगों के घुटनों, कूल्हों और कमर के दर्द में इजाफा होने की संभावना काफी बढ़ जाती हैं । ऐसे में चिकित्सकों ने लोगों को चलते फिरते रहने और घर से बाहर निकलते वक्त कई कपड़े पहनने की सलाह दी है।

सर्दियों में 50 प्रतिशत से अधिक लोग बाहर निकलने में दिलचस्पी नहीं लेते और घरों के भीतर रहना ही पंसद करते हैं क्योंकि बाहर के मुकाबले घर गर्म और आरामदेह होते है।

चिकित्सकों का कहना है कि सर्दियों में बाहर निकलते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि आपने कई परत में कपड़ें पहने हों।

जालंधर के एनएचएस अस्पताल के निदेशक एवं ऑर्थोपेडिक एंड रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन शुभांग अग्रवाल का कहना है कि ठंड के मौसम में आमतौर पर मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, कार्टिलेज का पोषण कम हो जाता है और सामान्य तौर पर मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इसलिए लचीलेपन को बनाए रखने और उन कैलोरी को जलाने के लिए, जो हम लेते हैं, सर्दी के मौसम में भी हमें अपने शरीर को सक्रिय रखना आवश्यक है।

उन्होंने कहा,‘‘ किसी खास तरह के जोडों के दर्द में आपको चिकित्सा पेशेवर की सलाह के बिना कोई कसरत नहीं करनी चाहिए । लेकिन जोड़ों में दर्द और अकड़न का यह मतलब कतई नहीं है कि आप जिम जाना बंद कर दें।’’

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक शुचिन बजाज का कहना है कि सर्दियों के मौसम में जोड़ों का दर्द, पीठ दर्द और मांसपेशियों में अकड़न सबसे आम स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो वृद्ध लोगों के जीवन को प्रभावित करती हैं।

"हमने सर्दियों के दौरान हड्डी और जोड़ों की समस्याओं के इलाज के लिए आने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में वृद्धि देखी है। लेकिन आजकल, हम देख सकते हैं कि घर से काम करने और उच्च ट्रांस वसा एवं चीनी युक्त आहार लेने के कारण युवा लोगों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चीनी उन्हें कम उम्र में मोटापे का शिकार बना रही है ।’’

पारस अस्पताल, गुड़गांव में संयुक्त प्रतिस्थापन और खेल चोट केंद्र के प्रमुख विवेक लोगानी कहते हैं कि लंबी बीमारी और खराब रक्त शर्करा नियंत्रण वाले लोगों में फ्रैक्चर का जोखिम सबसे अधिक होता है।

वह साथ ही कहते हैं, यह भी संभव है कि टाइप 1 मधुमेह वाले लोग लोअर पीक बोन मास (हड्डियों तक पहुँचने वाली अधिकतम शक्ति और घनत्व) प्राप्त करें। लोग आमतौर पर 20 के दशक में अपने पीक बोन मास तक पहुंच जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि लो पीक बोन मास जीवन में बाद में ऑस्टियोपोरोसिस के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतकौन हैं राज कुमार गोयल?, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में शपथ दिलाई

क्राइम अलर्टपत्नी की मौत के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहा था अमरनाथ राम, तीन नाबालिग बेटियों को फंदे पर लटकाया और खुद दी जान, 2 बेटों की बची जान

क्रिकेटDesert Vipers vs Dubai Capitals International League T20: 6 मैच, 6 जीत, 0 हार के साथ 12 अंक के साथ प्लेऑफ में?, डेजर्ट वाइपर्स ने किया कमाल

बॉलीवुड चुस्कीब्लू ड्रम वाली ड्रेस पहनकर पहुंचीं राखी सावंत, कहा 'जया जी… मेरे पैप्स को कुछ मत बोलो वरना…'

क्रिकेट15 पारी, 137. 3 की स्ट्राइक रेट और 291 रन?, अभिषेक शर्मा बोले-शुभमन गिल पर भरोसा रखिए, टी20 विश्व मैच जीतेंगे और 2026 टी20 विश्व कप में रन बनाएंगे

भारत अधिक खबरें

भारतचाहे पश्चिम बंगाल हो, असम हो या उत्तर प्रदेश, भाजपा कार्यकर्ता हमेशा तैयार रहते?, नितिन नवीन ने कहा-नया दायित्व आशीर्वाद

भारतदिल्ली-एनसीआर में घना कोहरा, एक्यूआई बढ़कर 474, स्मॉग की मोटी परत, देखिए वीडियो

भारत2027 में फिर से योगी सरकार?, यूपी भाजपा अध्यक्ष पंकज चौधरी ने कहा- पीएम मोदी की विकास पहल और सीएम योगी के साथ मिलेंगे रचेंगे इतिहास, वीडियो

भारत‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ विधेयक, 2025’ संसद में लाने और 2005 के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को निरस्त करने का प्रस्ताव

भारतजॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यात्रा पर पीएम मोदी, देखिए शेयडूल