धर्म का प्रचार के लिए आईएमए का इस्तेमाल नहीं करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज

By भाषा | Updated: July 27, 2021 12:06 IST2021-07-27T12:06:28+5:302021-07-27T12:06:28+5:30

Petition filed against order not to use IMA for propagation of religion dismissed | धर्म का प्रचार के लिए आईएमए का इस्तेमाल नहीं करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज

धर्म का प्रचार के लिए आईएमए का इस्तेमाल नहीं करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज

नयी दिल्ली, 27 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) अध्यक्ष जे ए जयलाल की वह याचिका मंगलवार को खारिज कर दी, जिसमें किसी भी धर्म का प्रचार करने के लिए संस्था के मंच का उपयोग नहीं करने का उन्हें निर्देश वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने अपने आदेश में उन्हें आगाह भी किया था कि जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति से स्तरहीन टिप्पणियों की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

न्यायमूर्ति आशा मेनन ने आदेश सुनाते हुए कहा कि याचिका खारिज की जाती है। उच्च न्यायालय ने जून में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली आईएमए प्रमुख की याचिका पर नोटिस जारी किया था।

निचली अदालत ने ‘‘कोविड-19 रोगियों के इलाज में आयुर्वेद पर एलोपैथिक दवाओं की श्रेष्ठता साबित करने की आड़ में ईसाई धर्म को बढ़ावा देकर’’ हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक अभियान शुरू करने का आरोप लगाते हुए जयलाल के खिलाफ दायर याचिका पर आदेश पारित किया था। शिकायतकर्ता रोहित झा ने निचली अदालत के समक्ष आरोप लगाया था कि जयलाल अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए देश तथा नागरिकों को गुमराह कर रहे हैं। झा ने आईएमए के अध्यक्ष के लेखों और साक्षात्कारों का हवाला देकर अदालत से लिखित निर्देश देकर उन्हें हिंदू धर्म या आयुर्वेद के प्रति अपमानजनक सामग्री लिखने, मीडिया में बोलने या प्रकाशित करने से रोकने का अनुरोध किया था।

निचली अदालत ने कहा था कि जयलाल के इस आश्वासन के आधार पर किसी निषेधाज्ञा की जरूरत नहीं है कि वह इस तरह की गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। अदालत ने कहा था कि यह याचिका एलोपैथी बनाम आयुर्वेद को लेकर विवाद का परिणाम प्रतीत होती है। निचली अदालत को चुनौती देते हुए जयलाल की ओर से पेश वकील तन्मय मेहता ने दावा किया कि आईएमए प्रमुख ने निचली अदालत को ऐसा कोई आश्वासन कभी नहीं दिया क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।

उन्होंने निचली अदालत के आदेश में जयलाल के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है क्योंकि वह एक ऐसे संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं जिसके 3.5 लाख डॉक्टर सदस्य हैं। उन्होंने दलील दी कि जयलाल और योग गुरु रामदेव के बीच टेलीविजन पर कोई बहस नहीं हुयी थी और वह ईसाई धर्म सहित किसी भी धर्म का प्रचार नहीं कर रहे हैं तथा निचली अदालत के समक्ष दायर मुकदमा फर्जी खबरों पर आधारित था।

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Web Title: Petition filed against order not to use IMA for propagation of religion dismissed

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