प्रयागराज, एक दिसंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर में सुगम दर्शन प्रणाली को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति समीर जैन की पीठ ने कहा, “संवैधानिक प्रावधानों पर गौर करने पर हमारा मत है कि न्यासी बोर्ड के पास किसी भी प्रकार की पूजा, सेवा आदि का निष्पादन करने के लिए शुल्क तय करने का अधिकार है।”
पीठ ने कहा, “इस अधिकार का प्रयोग करते हुए उन्होंने ऐसे लोगों के लिए जो चलने फिरने में असमर्थ हैं और लंबी कतार में खड़े नहीं रह सकते, उन्हें सुगम दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय किया और ऐसा निर्णय करते समय उन्होंने आम वर्ग को पूजा करने के अधिकार से वंचित नहीं किया।”
पीठ ने कहा, “हमारे विचार से न्यासी बोर्ड का यह निर्णय न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं आता।”
पेशे से अधिवक्ता गजेंद्र सिंह यादव ने न्यासी बोर्ड के इस निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि सुगम दर्शन की व्यवस्था से भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन होता है।
याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के वकील ने कहा बोर्ड ऐसे सभी अधिकारों का उपयोग करेगा जो दायित्वों के निर्वहन के लिए आवश्यक हैं खासकर किसी भी प्रकार की पूजा करने के लिए शुल्क का निर्धारण।
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