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ट्विटर अकाउंट निलंबन को चुनौती देने वाली संजय हेगड़े की याचिका पर जल्द सुनवाई की अनुमति

By भाषा | Updated: November 8, 2021 18:32 IST

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नयी दिल्ली, आठ नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े की वह अर्जी सोमवार को स्वीकार कर ली, जिसमें उन्होंने ट्विटर अकाउंट को स्थायी रूप से निलंबित किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।

ट्विटर पर कथित रूप से दो पोस्ट को री-ट्वीट करने के लिए हेगड़े का ट्विटर अकाउंट स्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि अगर जल्द सुनवाई की अर्जी की अनुमति दी जाती है तो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और माइक्रोब्लॉगिंग साइट को कोई आपत्ति नहीं है।

न्यायालय ने याचिका को 10 जनवरी 2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

हेगड़े ने अपने आवेदन में कहा कि मार्च 2020 में घोषित कोविड-19 लॉकडाउन के कारण याचिका को अदालत के समक्ष सूचीबद्ध नहीं किया गया और उसके बाद, सामूहिक रूप से उसे स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने अपने निलंबित ट्विटर अकाउंट को पुन: शुरू करने का अनुरोध किया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने 2019 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें केंद्र को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत दिशा-निर्देश देने का निर्देश दिया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सोशल मीडिया पर सेंसरशिप संविधान के अनुसार की जाए।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने दो पोस्ट को कथित तौर पर री-ट्वीट करने को लेकर हेगड़े का अकाउंट पांच नवंबर, 2019 को स्थायी रूप से निलंबित कर दिया था, जिसे उन्होंने फिर से शुरू करने की मांग की है। ट्विटर ने कहा है कि हेगड़े की याचिका विचारणीय नहीं है।

अमेरिका स्थित फर्म ने कहा कि उसकी सेवाएं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम द्वारा कवर की जाती हैं जिसमें एक शिकायत निवारण तंत्र भी मौजूद है और हेगड़े को अधिनियम के तहत पोर्टल पर शिकायत दर्ज करना चाहिए था।

ट्विटर ने दलील दी है कि हेगड़े के ट्विटर अकाउंट को निलंबित करना एक संविदात्मक विवाद है और निश्चित तौर पर अपनी सेवा प्रदान करना उसका कोई सकारात्मक दायित्व नहीं है।

अधिवक्ता प्रांजल किशोर के माध्यम से दायर याचिका में हेगड़े ने सवाल किया कि क्या ट्विटर जैसे बड़े बहुराष्ट्रीय निगम अपने कार्यों के लिए संवैधानिक जांच के लिए उत्तरदायी हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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