स्थायी कमीशन : महिला अधिकारियों को अगली सुनवाई तक सेवामुक्त नहीं किया जाए:न्यायालय

By भाषा | Updated: October 1, 2021 20:12 IST2021-10-01T20:12:35+5:302021-10-01T20:12:35+5:30

Permanent Commission: Women officers should not be discharged till next hearing: Court | स्थायी कमीशन : महिला अधिकारियों को अगली सुनवाई तक सेवामुक्त नहीं किया जाए:न्यायालय

स्थायी कमीशन : महिला अधिकारियों को अगली सुनवाई तक सेवामुक्त नहीं किया जाए:न्यायालय

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने स्थायी कमीशन के लिए विचार नहीं की गई 72 महिला शार्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को विषय की अगली सुनवाई तक सेवामुक्त करने से थल सेना को शुक्रवार को रोक दिया। साथ ही, इस बारे में जवाब मांगा है कि सेवा के लिए उन पर विचार क्यों नहीं किया गया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर सेना से अगले हफ्ते तक जवाब दाखिल करने को कहा है। महिला अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि शीर्ष न्यायालय के 25 मार्च के फैसले पर विचार नहीं किया गया और उनमें सभी 72 को स्थायी कमीशन के लिए विचार किये जाने से एक झटके में खारिज कर दिया गया।

पीठ ने याचिकाओं की अगली सुनवाई आठ अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘विषय में अगली सुनवाई तक इन महिला अधिकारियों को सेवामुक्त नहीं करें।’’

उल्लेखनीय है कि 25 मार्च के फैसले में शीर्ष न्यायालय ने सेना को उसके (सेना के) एक अगस्त 2020 के आदेश के मुताबिक मेडिकल अर्हता पर खरा उतरने और अनुशासनिक एवं सतर्कता मंजूरी मिलने पर महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार करने का निर्देश दिया था, जो आकलन विषयों में उनके 60 प्रतिशत अंक हासिल करने पर निर्भर करेगा।

सुनवाई की शुरूआत होने पर कुछ महिला अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी मोहना ने कहा कि उन्होंने (सेना ने) बगैर कोई कारण बताए बुधवार को अधिकारियों को खारिज करने का आदेश एक झटके में जारी कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इस न्यायालय ने मार्च में सेना को सभी 72 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार करने का निर्देश दिया था, लेकिन उसने उन सभी को खारिज कर दिया। यह शीर्ष न्यायालय के फैसले के खिलाफ है और आदेश को रद्द किया जाए।’’

पीठ ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन से सवाल किया कि इस विषय में क्या हो रहा है।

जैन ने कहा कि उनकी समझ के मुताबिक सभी अधिकारियों को खारिज करने का एक कारण नहीं हो सकता, बल्कि उन्हें खारिज करने के 72 कारण होंगे और उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम के साथ संबद्ध विभाग से सूचना तथा सभी संबद्ध दस्तावेज मांगे हैं, ताकि इसकी तह तक जाया जा सके।

उन्होंने सभी प्रासंगिक ब्योरे के साथ वापस अदालत आने के लिए दो हफ्ते का वक्त मांगा।

मोहना ने कहा कि उन्होंने (महिला अधिकारियों ने) अपने विषयों में 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाए हैं, वे मेडिकल मापदंड पर भी खरे उतरी हैं और उनके खिलाफ कोई अनुशासनिक व सतर्कता जांच भी लंबित नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसे कहीं से भी तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता है कि इन सभी महिला अधिकारियों पर एक बार में विचार नहीं किया गया। यह शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। ’’

महिला अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने भी कहा कि इन महिला अधिकारियों ने शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित तीनों मापदंडों को पूरा किया है और हैरानगी जताते हुए कहा कि अब वे सेवामुक्त कर दी जाएंगी।

महिला अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने भी कहा कि सेना का आदेश शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करने के समान है।

गौरतलब है कि पिछले साल 17 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष न्यायालय ने निर्देश दिया था कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए।

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Web Title: Permanent Commission: Women officers should not be discharged till next hearing: Court

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