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लोगों की आशंकाएँ, तकनीकी समस्याएं कम टीकाकरण के कारण हो सकते हैं: विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: January 19, 2021 19:08 IST

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नयी दिल्ली, 19 जनवरी विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान के पहले दिन टीके के प्रतिकूल प्रभाव के कुछ मामले सामने आने के बाद लोगों के आशंकित होने और तकनीकी समस्याएं अभियान के दूसरे दिन टीका लगवाने वाले लोगों की संख्या में कमी के कुछ कारण हो सकते हैं।

दिल्ली में सोमवार को लगभग 3,600 स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगाए गए। सूत्रों के मुताबिक, एम्स में केवल आठ स्वास्थ्य कर्मियों ने टीके लगवाए।

अधिकारियों द्वारा बाद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में दिन का लक्ष्य 8,136 टीके रखा गया था, इस प्रकार इसके केवल 44 प्रतिशत तक ही पहुंचा जा सका।

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि 26 व्यक्तियों में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) के मामले सामने आए, जिनमें दो गंभीर मामले हैं और एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उन्होंने बताया कि एक दिन में पहले दिन दिल्ली में टीकाकरण के लिए पंजीकृत लोगों में से 53.3 प्रतिशत यानी 4,319 स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगाए गए। उस दिन एईएफआई का एक गंभीर और 51 मामूली मामलों की सूचना मिली।

अब तक कम टीकाकरण के पीछे कई चीजों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिनमें कुछ तकनीकी समस्याएं और इसके प्रतिकूल प्रभाव को लेकर लोगों में पैदा हो रहा डर शामिल हैं।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एईएफआई के कई मामले सामने आने के बाद लोग आशंकित हो रहे हैं जोकि इसका एक बड़ा कारण हो सकता है।

इसके अलावा, कई लोग इंतजार करो और देखो की नीति को अपना रहे हैं, इसके अलावा को-विन ऐप में भी खामियां रहीं, जो कम टीकाकरण के अन्य कारणों में शामिल हैं।

राजीव गांधी अति विशिष्ट अस्पताल के चिकित्सा निदेशक बी एल शेरवाल ने कहा, ‘‘हां, एईएफआई के मामलों ने लोगों के दिमाग पर प्रभाव डाला है और इसको लेकर फैली आशंका कम टीकाकरण का कारण हो सकती है। लेकिन इसके कुछ अन्य कारण भी हैं। और, आखिरकार यह एक स्वैच्छिक कार्य है, इसलिए लोग अपनी पसंद से यह निर्णय लेते हैं। लेकिन, हम अपने अस्पताल के सभी विभाग प्रमुखों के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जा सके।’’

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल में अधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, केवल 12 स्वास्थ्य कर्मियों को सोमवार को टीका लगाया गया, जबकि पहले दिन 32 स्वास्थ्य कर्मियों ने टीके लगवाए थे। इस अस्पताल में किसी में भी इसका प्रतिकूल प्रभाव सामने नहीं आया है।

इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को कहा कि यह कवायद स्वैच्छिक और व्यक्तिगत निर्णय से जुड़ी है कि टीका लगवाना है या नहीं? हालांकि लोगों का भरोसा बढ़ाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही कहा कि लोगों का भरोसा धीरे-धीरे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि यह एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है और लोग स्वयं अपना फैसला ले रहे हैं क्योंकि यह शुरुआती चरण है।

यह पूछे जाने पर कि कुछ नेताओं द्वारा इसके प्रभाव एवं सुरक्षा को लेकर संशय जताया जाना भी एक कारण हो सकता है तो जैन ने कहा, '' नहीं। टीका लगवाना व्यक्तिगत निर्णय है और इसका टीके के संबंध में की गई राजनीतिक बयानबाजी से कोई लेना-देना नहीं है।''

को-विन कोविड-19 टीका वितरण की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है।

एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने कहा, "हमारे अस्पताल में ऐप में कुछ गड़बड़ियां थीं। हमें अभियान के दौरान यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।"

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक एन के गांगुली ने कहा कि धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ेगी क्योंकि लोग टीकों के बारे में पूरी तरह से अवगत होना चाहते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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