कोलकाताः कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ने के लिए देश को तीन मई तक लॉकडाउन किया गया है। इस दौरान गैर जरूरी सामानों लाने-जाने और लोगों को बाहर निकलने के लिए अनुमति नहीं है। प्रवासी मजदूर और छात्र देश के कई हिस्सों में फंसे हुए हैं, जिन्हें उनके घर तक पहुंचाने के लिए राज्य अपने-अपने स्तर से कोशिश कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे बंगाल के लोगों को वापस लाने के लिए प्रदेश की सरकार हर संभव मदद करेगी। मैंने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। जब तक मैं यहां हूं, तब तक बंगाल का कोई भी व्यक्ति खुद को असहाय महसूस नहीं करेगा। मैं इन कठिन समय में आपके साथ हूं।'
उन्होंने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से इसे देख रही हूं और हम यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कि सभी को किसी भी तरह की संभव मदद न मिले। कोशिशें शुरू हो चुकी हैं और कोटा में फंसे बंगाल के सभी छात्र जल्द ही घर वापसी की यात्रा शुरू करने वाले हैं।'
वहीं, पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस महामारी की बात करें तो राज्य में बीते दिन संक्रमण के 38 नए मामले आए हैं और 463 मरीजों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। राज्य में अब तक कुल 579 लोग संक्रमित हुए हैं। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक यह संख्या 612 है।
इसके अलावा बीते दिन एक वरिष्ठ सरकारी चिकित्सक और 34 वर्षीय एक व्यक्ति की कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद रविवार को अस्पताल में मौत हो गई। स्वास्थ्य सेवाओं (उपकरण और भंडार) के सहायक निदेशक के तौर पर सेवारत 60 वर्षीय चिकित्सक डॉ. बिप्लब कांति दासगुप्ता को शुरुआत में बेलियाघाटा संक्रामक रोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उन्हें बाद 18 अप्रैल को ‘साल्ट लेक’ निजी अस्पताल में भेजा गया, जहां उनकी कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो गयी।