पेगासस जासूसी विवाद : उच्चतम न्यायालय ने जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की

By भाषा | Updated: September 7, 2021 16:16 IST2021-09-07T16:16:05+5:302021-09-07T16:16:05+5:30

Pegasus espionage controversy: Supreme Court sets September 13 for hearing petitions seeking probe | पेगासस जासूसी विवाद : उच्चतम न्यायालय ने जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की

पेगासस जासूसी विवाद : उच्चतम न्यायालय ने जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की

नयी दिल्ली, सात सितंबर उच्चतम न्यायालय ने देश में कुछ विशिष्ट लोगों की इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित रूप से जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय प्रदान किया है। इस मामले में न्यायालय अब 13 सितंबर को सुनवाई करेगा।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने 17 अगस्त को इन याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि वह नहीं चाहता कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने वाली किसी भी चीज का खुलासा करे। केंद्र ने इससे पूर्व मामले में संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था।

यह मामला मंगलवार को सुनवाई के लिये पीठ के समक्ष आते ही केन्द्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कुछ कठिनाइयों के कारण वह दूसरा हलफनामा दायर करने के संबंध में फैसले को लेकर संबंधित अधिकारियों से नहीं मिल सके और उन्होंने मामले को बृहस्पतिवार या सोमवार को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘दूसरा हलफनामा दायर करने के संबंध फैसला लेने के लिए कुछ वक्त चाहिए। कुछ कठिनाइयों के कारण इस पर फैसला नहीं किया जा सका।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि केंद्र का हलफनामा है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि केंद्र को मामले में दूसरा हलफनामा दायर करने पर फैसला करना है।

वरिष्ठ पत्रकार एन राम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें अनुरोध पर कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘इसे सोमवार को सूचीबद्ध किया जाए।’’

केंद्र ने इससे पहले शीर्ष अदालत में एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था और कहा था कि पेगासस जासूसी अरोपों में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाएं ‘‘अनुमानों या अन्य अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी या अपुष्ट सामग्री’’ पर आधारित हैं।

केंद्र ने कहा कि इस संबंध में संसद में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। केंद्र ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थों के तहत फैलाए गए किसी भी गलत धारणा को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के लिए सरकार विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी।

सिब्बल ने कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी कि देश की सुरक्षा नागरिकों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी देश के लिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि राज्य हमें किसी भी उपकरण के उपयोग के संबंध में किसी भी सुरक्षा पहलू के बारे में कोई जानकारी दे। यह हमारा इरादा नहीं है और यह याचिका में भी नहीं है।’’

शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह (अदालत) नहीं चाहती कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कुछ भी खुलासा करे और केंद्र से पूछा था कि यदि सक्षम प्राधिकारी इस मुद्दे पर हलफनामा दायर करते हैं तो “समस्या” क्या है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं, इस मुद्दे पर हलफनामे पर जानकारी देने से राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू शामिल होगा।

न्यायालय ने कहा कि पीठ देश की रक्षा या राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित किसी भी बात की जानकारी में हलफनामे में नहीं चाहती है।

मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘हमारा जवाब वही है जो हमने अपने पिछले हलफनामे में सम्मानपूर्वक कहा है। कृपया हमारे दृष्टिकोण से इस मुद्दे को देखें क्योंकि हमारा हलफनामा पर्याप्त है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार देश की सर्वोच्च अदालत के समक्ष है।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि अगर किसी देश की सरकार इस बात की जानकारी देती है कि किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है और किसका नहीं, तो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोग पहले से कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होगा। ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे हैं। कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया गया या कौन सा नहीं इस्तेमाल किया गया यह अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला होगा जिसे हम अदालत से छिपा नहीं सकते।’’

न्यायालय इस मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक याचिका सहित 12 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। ये याचिकाएं इजरायली कंपनी एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग कर प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी करने की रिपोर्ट से संबंधित हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा है कि पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था।

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Web Title: Pegasus espionage controversy: Supreme Court sets September 13 for hearing petitions seeking probe

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