पेगासस: न्यायालय ने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति बनाई, कहा अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती

By भाषा | Updated: October 27, 2021 14:47 IST2021-10-27T14:47:00+5:302021-10-27T14:47:00+5:30

Pegasus: Court forms expert committee to investigate allegations of espionage, says court cannot remain a mute spectator | पेगासस: न्यायालय ने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति बनाई, कहा अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती

पेगासस: न्यायालय ने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति बनाई, कहा अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती

नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने इज़राइली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिए भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया और कहा कि प्रत्येक नागरिक को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है और ‘‘सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा’’ की दुहाई देने मात्र से न्यायालय ‘‘मूक दर्शक’’ बना नहीं रह सकता।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया मौजूदा साक्ष्य ‘‘गौर करने योग्य प्रतीत होते हैं।’’ पीठ ने केन्द्र का स्वंय विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि ऐसा करना पूर्वाग्रह के खिलाफ स्थापित न्यायिक सिद्धांत का उल्लंघन होगा।

शीर्ष अदालत ने अपने पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन से तीन सदस्यीय समिति के कामकाज की निगरानी करने का आग्रह किया और समिति से जल्द ही रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा।

पीठ ने इस मामले में ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’, जाने-माने पत्रकार एन राम और शशि कुमार सहित अन्य की याचिकाओं को आगे की सुनवाई के लिए आठ सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है।

पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देने की केन्द्र की पुरजोर दलीलों पर गौर किया और उन्हें यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया, "... इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार हर बार ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का मुद्दा देकर इसका लाभ पा सकती है।’’ ’’

पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा वह हौव्वा नहीं हो सकती जिसका जिक्र होने मात्र से न्यायालय खुद को मामले से दूर कर ले। हालांकि, इस न्यायालय को राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में हस्तक्षेप करते समय सतर्क रहना चाहिए, लेकिन न्यायिक समीक्षा के लिए इसे निषेध नहीं कहा जा सकता।’’

प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केन्द्र को ‘‘ न्यायालय के समक्ष पेश अपने दृष्टिकोण को न्यायोचित ठहराना चाहिए। ‘सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देने मात्र से न्यायालय मूक दर्शक बना नहीं रह सकता।’’

शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्रन ‘साइबर सुरक्षा, डिजिटल फोरेंसिक, नेटवर्क और हार्डवेयर’ समिति के कामकाज की निगरानी करेंगे। समिति के तीन सदस्य नवीन कुमार चौधरी, प्रभारन पी और अश्विन अनिल गुमस्ते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय (अध्यक्ष, उप समिति (अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन / अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग/संयुक्त तकनीकी समिति) न्यायमूर्ति रवींद्रन समिति के कामकाज की निगरानी करने में मदद करेंगे।

शीर्ष अदालत ने कहा कि टकरावों से भरी इस दुनिया में किसी भी सरकारी एजेंसी या किसी निजी संस्था पर भरोसा करने के बजाय, पूर्वाग्रहों से मुक्त, स्वतंत्र एवं सक्षम विशेषज्ञों को ढूंढना और उनका चयन करना एक अत्यंत कठिन कार्य था।

पीठ ने कहा, ‘‘ हम यह स्पष्ट करते हैं कि हमारा प्रयास राजनीतिक बयानबाजी में खुद को शामिल किये बगैर ही संवैधानिक आकांक्षाओं और कानून का शासन बनाए रखने का है।’’ पीठ ने कहा कि यह न्यायलाय सदैव ही राजनीति के मकड़जाल में प्रवेश नहीं करने के प्रति सजग रहता है।

पीठ ने कहा, ‘‘ सभ्य लोकतांत्रिक समाज के सदस्य उचित निजता की अपेक्षा करते हैं। निजता सिर्फ पत्रकारों या सामाजिक कार्यकर्ताओं की चिंता का विषय नहीं है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के शासन से शासित एक लोकतांत्रिक देश में, संविधान के तहत कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए पर्याप्त वैधानिक सुरक्षा उपायों के अलावा किसी भी तरह से मनमानी तरीके से लोगों की जासूसी की अनुमति नहीं है।

पीठ ने 13 सितंबर को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि वह सिर्फ यह जानना चाहती है कि क्या केन्द्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं?

ये याचिकाएं इज़राइल की फर्म एनएसओ के ‘स्पाइवेयर पेगासस’ का इस्तेमाल कर सरकारी संस्थानाओं द्वारा कथित तौर पर नागरिकों, राजनेताओं और पत्रकारों की जासूसी कराए जाने की रिपोर्ट की स्वतंत्र जांच के अनुरोध से जुड़ी हैं।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने खबर दी थी कि करीब 300 प्रमाणित भारतीय फोन नंबर ‘पेगासस’ स्पाईवेयर के जरिए जासूसी के संभावित लक्ष्य थे।

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Web Title: Pegasus: Court forms expert committee to investigate allegations of espionage, says court cannot remain a mute spectator

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