कोरोना संकट के बीच पीपल बाबा का 'पेड़ लगाओ अभियान' जारी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 20, 2020 06:36 PM2020-05-20T18:36:05+5:302020-05-20T18:36:05+5:30
देश के 202 जिलों और 18 राज्यों में 2 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगा चुके पीपल बाबा की टीम का कोरोना महामारी के आने के बाद भी वृक्षारोपण का कार्य निरंतर जारी था लेकिन बीच में पेड़ों की सप्लाइ बाधित होने पर कार्य रुकने की संभावना बढ़ने लगी थी।
नई दिल्ली: आज भारत सहित दुनियाभर में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है| इसी बीच देश ने नामी पर्यावरणकर्मी प्रेम परिवर्तन (जिन्हें लोग पीपल बाबा के नाम से जानते हैं) अपने पर्यावरण संवर्धन अभियान में लगे हुए हैं। 1977 से पेड़ लगाओ अभियान की शुरुआत करने वाले पीपल बाबा का सफ़र निर्बाध रूप से जारी है | कोरोना जैसी महामारी में सभी लोग जहाँ पर खुद को अलग करते हुए अपने घरों की चहरदिवारियों में कैद हैं वहीँ पीपल बाबा और उनकी टीम सोशल डिस्टैंसिंग को फॉलो करते हुए अपने पेड़ लगाओ अभियान में जुटी हुई है | पीपल बाबा बताते हैं कि जिंदगी का एक एक दिन अमूल्य है और हमें ईश्वर ने पेड़ लगनें और देश के पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने कहा, 'मैं अपना कार्य करके अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहता हूं। इस महामारी में हमें पहले खुद को सुरक्षित करना है, खुद को सुरक्षित रखते हुए देश को सुरक्षित रखेने की जिम्मेदारी हर इंसान को निभानी है। लेकिन धरती पर बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ लगाने का अभियान भी हमें जारी रखना है।
Give me Trees Trust (गिव मी ट्रीज ट्रस्ट) के संस्थापक मिस्टर प्रेम परिवर्तन (पीपल बाबा ) का कहना है कि कोरोना महामारी के दौर में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं इस महामारी से बचने के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है लेकिन इस समय हर एक नागरिक अगर सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए अगर एक-एक पेड़ लगाये और कुछ दिनों तक देखभाल करे (कुछ दिन बाद बरसात भी शुरू हो जाएगी, इस समय पेड़ लगाया गया तो वो पेड़ आसानी से पकड लेगा ) तो आने वाले समय में भारत को स्वच्छ पर्यावरण देनें के दिशा में एक बड़ी पूजी का निर्माण हो सकता है |
उन्होंने कहना है कि लॉकडाउन लागू होनें से औधोगिक गतिविधियाँ कम या नहीं हो पा रही हैं इस वजह से प्रदूषण का स्तर भी कम हो रहा है अगर इस समय हम पेड़ लगाकर अगर अपने पर्यावरण को हरा भरा बना लेते हैं तो आनें वाले समय में औधोगिक गतिविधियों के शुरू होने पर भी पर्यावरण स्वच्छ मिलेगा क्युकि तैयार वृक्ष पर्यावरण की गंदगी को सोखकर वातावरण को शुद्ध कर देते हैं-इस संकट की घड़ी को पेड़ लगाकर एक अवसर में तब्दील कर लेना चाहिए |
कोरोना से लड़ने में पेड़ कैसे हैं सहायक
पीपल बाबा बताते हैं 'पेड़ अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पेड़ लकड़ी, फल, फूल, औषधि, उद्योगों के लिए कच्चे माल का जरिया हैं। इसके साथ-साथ पेड़ अपने जीवन काल में लोगों को ऑक्सीजन देते हैं। उद्योगों से हमारे वातावरण में जो गंदगी (CO2) आती है उसे पेड़ अवशोषित करके बदले में ऑक्सीजन देते हैं। ये पेड़ भगवान शिव के साक्षात प्रतिबिम्ब हैं जो सृष्टि को बचानें के लिए बिष (जहर ) ग्रहण करते हैं।'