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किसानों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन से ताकतवर नेता को झुका दिया : शेट्टी

By भाषा | Updated: November 19, 2021 17:24 IST

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पुणे, 19 नवंबर पूर्व सांसद और किसान नेता राजू शेट्टी ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को किसानों की जीत बताते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्होंने अपने शंतिपूर्ण प्रदर्शन से एक ताकतवर नेता को झुकने के लिए मजबूर कर दिया।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे।

शेट्टी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर हम किसानों के प्रदर्शन को परिभाषित करना चाहते हैं तो हम कह सकते हैं कि किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन करके एक ताकतवर नेता को झुका दिया और सरकार को उन कानूनों को वापस लेने के लिए विवश कर दिया, जो कुछ लोगों के फायदे के लिए लाए गए थे।’’

उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते हुए सरकार को कानून वापस लेने के लिए विवश करना ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की इस जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश सच में लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखता है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र की भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश और पंजाब में आगामी चुनावों के मद्देनजर कानूनों को निरस्त करने का फैसला लिया है, इस पर पूर्व सांसद ने ‘‘हां’’ में जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘‘भले ही किसानों के प्रदर्शन का असर कम हो रहा था लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने (भाजपा) उन उत्तरी राज्यों में कोई सर्वेक्षण कराया, जहां चुनाव होने वाले हैं और इस सर्वेक्षण से पता चला होगा कि किसान नाखुश हैं और इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया।’’

स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि भले ही कानूनों को निरस्त करने का फैसला यह मानकर लिया हो कि किसान अब सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन करेंगे लेकिन स्थिति ऐसी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि कई किसानों ने अपनी जान गवां दी और वाहनों से कुचले गए। पूरे आंदोलन की छवि बिगाड़ने की कोशिशें भी की गईं ...किसान ये सब चीजें आसानी से नहीं भूलेंगे।’’

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव अजित नवले ने भी सरकार के फैसले को किसान आंदोलन की जीत बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह किसानों और विभिन्न किसान संघ, संगठनों की जीत है, जिन्होंने पिछले एक साल से इन कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से और लोकतांत्रिक ढांचे का पालन करते हुए प्रदर्शन किया।’’

उन्होंने कहा कि वह उन सभी किसानों को सलाम करते हैं जो पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से एक अन्य किसान नेता विजय जवांधिया ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का मतलब यह नहीं है कि केंद्र सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें कृषि कानूनों को निरस्त करने को लेकर बहुत सावधान रहना होगा। विदर्भ में बड़ी मात्रा में कपास की खेती होती है और केंद्र सरकार को कपास खरीद के एमएसपी के संबंध में कोई कड़ा फैसला लेना चाहिए। कुछ साल पहले मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का फैसला किया था लेकिन वह कैसे यह कर रहे हैं? उन्हें कुछ फैसले लेने होंगे और कुछ सुधार लाने होंगे जो सच में किसानों के लिए फायदेमंद हों।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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