संसदीय समिति ने ट्विटर से कहा: देश का कानून सर्वोपरि, आपकी नीति नहीं, भारतीय कानूनों का पालन हो

By भाषा | Updated: June 18, 2021 22:40 IST2021-06-18T22:40:31+5:302021-06-18T22:40:31+5:30

Parliamentary committee told twitter: Law of the country is paramount, not your policy, Indian laws should be followed | संसदीय समिति ने ट्विटर से कहा: देश का कानून सर्वोपरि, आपकी नीति नहीं, भारतीय कानूनों का पालन हो

संसदीय समिति ने ट्विटर से कहा: देश का कानून सर्वोपरि, आपकी नीति नहीं, भारतीय कानूनों का पालन हो

नयी दिल्ली, 18 जून सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नये नियमों को लेकर केंद्र सरकार तथा ट्विटर में गतिरोध के बीच आईटी पर संसदीय स्थायी समिति ने शुक्रवार को इस अमेरिकी माइक्रोब्लॉगिंग साइट से कहा कि देश का कानून सर्वोपरि है और कंपनी को भारतीय कानूनों का पालन करना होगा।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर संसदीय समिति के समक्ष करीब डेढ़ घंटे की गवाही के दौरान ट्विटर इंडिया के अधिकारियों से कड़े सवाल पूछे गये और यह भी प्रश्न किया गया कि देश में नियमों का उल्लंघन करते पाये जाने पर उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाए।

ट्विटर इंडिया की लोक नीति प्रबंधक शगुफ्ता कामरान और विधिक परामर्शदाता आयुषी कपूर ने शुक्रवार को समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा।

बाद में ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी अपने पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की आजादी तथा निजता के सिद्धांतों के अनुरूप ऑनलाइन नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के महत्वपूर्ण कार्य पर समिति के साथ काम करने के लिए तैयार है।

प्रवक्ता ने संसदीय समिति के समक्ष ट्विटर को पक्ष रखने का अवसर मिलने की सराहना करते हुए कहा, ‘‘हम सार्वजनिक संवाद के संरक्षण के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता के तहत भारत सरकार के साथ काम करते रहेंगे।’’

बैठक में थरूर के अलावा भाजपा के निशिकांत दुबे, राज्यवर्द्धन राठौड़, तेजस्वी सूर्या, संजय सेठ, जफर इस्लाम और सुभाष चंद्रा, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा तथा तेलुगूदेसम पार्टी के जयदेव गल्ला ने भाग लिया।

सूत्रों के अनुसार बैठक में समिति के सदस्यों, अधिकतर भाजपा सदस्यों ने ट्विटर अधिकारियों से पूछा कि क्या उनकी नीति अधिक महत्वपूर्ण है या देश का कानून। इस पर अधिकारियों ने जवाब दिया कि वे भारतीय कानूनों का सम्मान करते हैं लेकिन उन्हें व्यापक हित में अपनी नीति का भी अनुसरण करना होता है।

सूत्रों ने कहा कि समिति के सदस्यों ने ट्विटर के इस रुख पर कड़ा ऐतराज जताया और उनसे कहा कि देश का कानून सर्वोपरि है, कंपनी की नीति नहीं। सूत्रों ने बताया कि समिति में इस बात को लेकर आम-सहमति है कि ट्विटर को आईटी नियमों का पालन करना चाहिए और मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करनी चाहिए।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘जवाबों (ट्विटर अधिकारियों के) में स्पष्टता की कमी थी और वे आधे-अधूरे थे।’’

सूत्रों ने कहा कि सांसदों ने बैठक में यह विषय भी उठाया कि ट्विटर ने पूर्णकालिक अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति के बजाय एक अंतरिम अधिकारी की नियुक्ति की है जो एक वकील हैं।

सूत्रों के मुताबिक दुबे ने ट्विटर पर तथ्यों की जांच की प्रणाली में तटस्थता को लेकर भी सवाल उठाये और दावा किया कि इनमें से अधिकतर राजनीतिक रूप से तटस्थ नहीं हैं।

समिति ने इस मंच के दुरुपयोग और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित विषयों पर पक्ष रखने के लिए पिछले सप्ताह ट्विटर को तलब किया था।

सूत्रों के अनुसार समिति के विपक्षी सदस्यों ने राय व्यक्त की कि ट्विटर के अधिकारियों के साथ एक और दौर की बैठक होनी चाहिए, लेकिन समिति ने ट्विटर से अनेक प्रश्नों पर लिखित उत्तर मांगे हैं। समिति ने ट्विटर की गवाही के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों के साथ भी बैठक की।

इससे पहले केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में ट्विटर को नोटिस जारी कर नये आईटी नियमों का तत्काल अनुपालन करने का आखिरी मौका दिया था और चेतावनी दी थी कि नियमों का पालन नहीं होने पर इस प्लेटफॉर्म को आईटी अधिनियम के तहत जवाबदेही से छूट नहीं मिलेगी।

सूत्रों के मुताबिक समिति गूगल, फेसबुक, यूट्यूब और अन्य आईटी कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को भी तलब करेगी।

पिछले कुछ दिन से केंद्र और ट्विटर के बीच अनेक विषयों पर गतिरोध की स्थिति है। कुछ दिन पहले ट्विटर उस समय भी विवाद में आ गया था जब उसने उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत समेत संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के खातों से सत्यापन वाला ‘ब्लू टिक’ कुछ देर के लिए हटा दिया था।

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने ट्विटर को नोटिस भेजकर पूछा था कि उसने केंद्र सरकार के खिलाफ कथित ‘कांग्रेसी टूलकिट’ को ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ का तमगा कैसे दिया।

खबरों के अनुसार दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 31 मई को ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी से सवाल-जवाब किये थे। पुलिस 24 मई को टूलकिट के मुद्दे पर ट्विटर के दिल्ली और गुड़गांव स्थित दफ्तरों में भी पहुंची थी।

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Web Title: Parliamentary committee told twitter: Law of the country is paramount, not your policy, Indian laws should be followed

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