नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की। राष्ट्रीय गीत के बारे में कई महत्वपूर्ण और अज्ञात पहलुओं के सामने आने की संभावना है। लोकसभा में 'राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा' सोमवार के लिए सूचीबद्ध है और इस पर बहस के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। पीएम मोदी ने कहा कि जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश के आज़ादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था, उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना इस सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और हम सभी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं।
वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था। तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था।
जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम् के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया। 150 वर्ष उस महान अध्याय और उस गौरव को पुनः स्थापित करने का अवसर हैं। मेरा मानना है कि देश और सदन, दोनों को इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए। यही वंदे मातरम् है, जिसने 1947 में देश को आजादी दिलाई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस चर्चा में दूसरे वक्ता होंगे। इस चर्चा में लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी सहित अन्य सदस्य भी शामिल हो रहे हैं। संसद में यह चर्चा, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित और जदुनाथ भट्टाचार्य द्वारा संगीतबद्ध वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर वर्ष भर आयोजित होने वाले समारोह का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उस पर 1937 में इस गीत से प्रमुख छंदों को हटाने और विभाजन के बीज बोने का आरोप लगाया था। सात नवंबर को, मोदी ने वंदे मातरम् के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में वर्ष भर आयोजित होने वाले समारोहों की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से युवाओं और छात्रों के बीच इस गीत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।