उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढाने के प्रावधान वाले विधेयक को मिली संसद से मंजूरी

By भाषा | Updated: August 7, 2019 14:23 IST2019-08-07T14:23:46+5:302019-08-07T14:23:46+5:30

राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस विधेयक पर चर्चा का प्रस्ताव रखते समय सदन का ध्यान इस बात की ओर दिलाया कि यह विधेयक धन विधेयक है इसलिए यदि उच्च सदन इस पर चर्चा नहीं भी करेगा तो भी यह स्वत: पारित हो जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ने इस विधेयक को धन विधेयक घोषित किया था।

Parliament approves bill to increase the number of judges in Supreme Court | उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढाने के प्रावधान वाले विधेयक को मिली संसद से मंजूरी

उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढाने के प्रावधान वाले विधेयक को मिली संसद से मंजूरी

संसद ने उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 किए जाने के प्रावधान वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। राज्यसभा ने सत्र के आखिरी दिन उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीश संख्या) संशोधन विधेयक 2019 बिना चर्चा के लोकसभा को लौटा दिया। लोकसभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है।

राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस विधेयक पर चर्चा का प्रस्ताव रखते समय सदन का ध्यान इस बात की ओर दिलाया कि यह विधेयक धन विधेयक है इसलिए यदि उच्च सदन इस पर चर्चा नहीं भी करेगा तो भी यह स्वत: पारित हो जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ने इस विधेयक को धन विधेयक घोषित किया था।

सभापति नायडू ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिवंगत नेता के सम्मान में हमें इस विधेयक को बिना किसी वादविवाद के पारित करना चाहिए। विधि एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी सदन का ध्यान इस ओर दिलाया कि यह एक छोटा सा विधेयक है जिसमें उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 33 करने का प्रावधान किया गया है। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस इस विधेयक के प्रावधानों का समर्थन करती है। सदन में बनी सहमति के आधार पर सभापति ने इस विधेयक को बिना चर्चा के वापस लौटाने का प्रस्ताव किया जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई।

इससे पहले, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि वह चाहते हैं कि शीर्ष न्यायपालिका में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का भी प्रतिनिधित्व हो। उल्लेखनीय है कि अभी शीर्ष न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) समेत 31 न्यायाधीश हैं। उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) कानून, 1956 आखिरी बार 2009 में संशोधित किया गया था। तब सीजेआई के अलावा न्यायाधीशों की संख्या 25 से बढ़ाकर 30 की गई थी।

भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया था । भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि न्यायाधीशों की कमी के कारण कानून के सवालों से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में फैसला लेने के लिए आवश्यक संवैधानिक पीठों का गठन नहीं किया जा रहा है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि भारत के उच्चतम न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है ।

1 जून 2019 तक उच्चतम न्यायालय में 58,669 मामले लंबित थे । भारत के प्रधान न्यायाधीश ने सूचित किया है कि न्यायाधीशों की अपर्याप्त संख्या शीर्ष अदालत में मामलों के लंबित होने के मुख्य कारणों में से एक कारण है । इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायमूर्तियों तथा न्यायाधीशों की संख्या 906 से बढ़कर 1079 हो गई है । इसके कारण उच्च न्यायालय स्तर पर मामलों के निस्तारण में वृद्धि हुई है ।

इसके चलते उच्चतम न्यायालय में की जाने वाली अपीलों में वृद्धि हुई है । ऐसे में उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या को वर्तमान में भारत के प्रधान न्यायमूर्ति को छोड़कर 30 से बढ़ाकर 33 करने के लिये उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) कानून, 1956 का और संशोधन करने का प्रस्ताव है । 

Web Title: Parliament approves bill to increase the number of judges in Supreme Court

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