(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 12 जुलाई पाकिस्तान ने सोमवार को कहा कि वह अफगानिस्तान में बदलती स्थिति की निगरानी कर रहा है और लोगों को आश्वस्त किया कि वह युद्धग्रस्त देश में किसी तरह की अशांति से पैदा होने वाली अव्यवस्था का प्रभाव अपने देश पर नहीं पड़ने देगा।
अफगानिस्तान से अमेरिकी एवं पश्चिमी देशों के सैनिकों की पूर्ण वापसी से पहले हाल के हफ्तों में वहां तालिबान आतंकवादियों के दर्जनों जिलों पर कब्जा करने और अब देश के 85 प्रतिशत क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेने के उनके दावे के बीच सूचना मंत्री फवाद चौधरी का यह बयान आया है।
तालिबान के साथ एक समझौते के तहत अमेरिका और नाटो के सदस्य देश आतंकवादियों के इस वादे पर अपने सभी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के लिए सहमत हुए हैं कि वे अपने कब्जे वाले इलाकों से चरमपंथी सूमहों को संचालित नहीं होने देंगे।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बृहस्पतिवार को घोषणा की थी कि 31 अगस्त तक अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से चले जाएंगे।
चौधरी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान में बदलती स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और सभी हितधारकों के सुझावों के आधार पर एक शांतिपूर्ण उपाय के जरिए आगे बढ़ने के लिए अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ कोशिश कर रहे हैं। यदि यह कोशिश नाकाम भी हो जाती है तो हम अशांति को पाकिस्तान की सीमाओं के अंदर प्रवेश नहीं करने देंगे।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमारी अफगान नीति पाकिस्तान के हित में होगी। ’’
चौधरी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘पाकिस्तान की भूमि का इस्तेमाल अफगानिस्तान के खिलाफ नहीं किया जा रहा है और हम उम्मीद करते हैं कि अफगानिस्तान के भू क्षेत्र का भी पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल नही किया जाएगा। ’’
सूचना मंत्री के ट्वीट को अफगानिस्तान में गृह युद्ध की आशंका के चलते पाकिस्तान में महसूस की जा रही बेचैनी प्रदर्शित करने वाला माना जा रहा है।
पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने रविवार को कहा था कि देश अफगानिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति से यहां पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है और इस्लामाबाद, अफगानिस्तान शांति समझौते का समन्वयक है, वह इसके लिए जवाबदेह नहीं है।
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