(अनिल भट)
जम्मू, सात अक्टूबर कश्मीर घाटी में बृहस्पतिवार को आतंकवादियों के हमले में मारे गए स्कूल शिक्षक दीपक चांद की पत्नी संगीता ने कहा, ‘‘ मेरी बेटी ने उनसे घर से नहीं जाने को कहा था। देखिए क्या हो गया।’’
संगीता ने कहा, ‘‘ कुछ दिन पहले उन्होंने हमें जम्मू पहुंचा दिया था और खुद कश्मीर लौट गए थे। मेरी जिंदगी और मेरा परिवार बर्बाद हो गया।’’
श्रीनगर में ईदगाह में सरकारी बाल उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक चांद की आज पूर्वाह्न करीब सवा ग्यारह बजे आतंकवादियों ने करीब से गोली मारकर हत्या कर दी तथा स्कूल प्रधानाचार्य सुपिंदर कौर को भी मार डाला।
इसी के साथ पिछले पांच दिनों में आतंकवादियों के हाथों सात आम नागरिक मारे गए हैं।
यहां पाटोली में बहुत से लोग चांद के घर एकत्र हुए। चांद के माता-पिता समेत उनके परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है।
चांद के रिश्तेदार अश्वनी कुमार ने कहा, ‘‘ सरकार कहती है कि कश्मीरी पंडित घाटी लौट सकते हैं। दीपक अध्यापक के तौर पर अपनी गृहभूमि गए थे.... बदले में यह इनाम मिला।’’
चांद के भाई विजय ने कहा, ‘‘ उन्होंने (आतंकवादियों ने) मेरे भाई की हत्या कर दी। उनकी तीन साल साल बेटी है.... सरकार को हमें इंसाफ दिलाना चाहिए।’’
विजय ने मांग की कि बहुत देर हो जाए, उससे पहले ही सरकार को कश्मीर घाटी में कार्यरत सभी हिंदुओं को सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए।
परिवार के सदस्यों ने कहा कि आम नागरिकों की हत्या उन्हें 1990 के दशक की याद दिलाती है जब अल्पसंख्यकों कश्मीर पंडितों को निशाना बनाया गया और घाटी से उन्हें पलायन करना पड़ा।
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