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यूनिटेक के पूर्व प्रवर्तकों के साथ साठगांठ के आरोपी तिहाड़ के अधिकारियों के निलंबन का आदेश

By भाषा | Updated: October 6, 2021 21:04 IST

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नयी दिल्ली, छह अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की रिपोर्ट के आधार पर जेल में बंद यूनिटेक के पूर्व प्रवर्तकों संजय और अजय चंद्रा के साथ साठगांठ को लेकर तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निलंबित करने, उनके विरूद्ध मामला दर्ज करने और इस पूरे मामले की विस्तृत जांच का बुधवार को निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ एवं न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम एवं भादंसं के संबंधित प्रावधानों के तहत आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्देश दिया।

पीठ ने तिहाड़ जेल के उन अधिकारियों को निलंबित करने का भी निर्देश दिया, जिनके विरूद्ध मामले दर्ज किये जाएंगे और कहा कि यह निलंबन उनके खिलाफ कार्यवाही जारी रहने तक प्रभावी रहेगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया था कि चंद्रा बंधु जेल से अपना कारोबार चला रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय को पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की रिपोर्ट में जेल प्रबंधन बढ़ाने के संबंध में दिये गये सुझाव का पालन करने का भी निर्देश दिया। न्यायालय ने इस रिपोर्ट की एक प्रति अनुपालन के लिए मंत्रालय के पास भेजने का भी आदेश दिया है।

उच्चतम न्यायालय ने इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और दिल्ली पुलिस की सीलबंद लिफाफे में पेश की गयी रिपोर्ट को रिकार्ड में लिया एवं अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर तय की।

सुनवाई के दौरान पीठ और संजय चंद्रा के वकील विकास सिंह के बीच फॉरेंसिक ऑडिट एवं जांच एजेंसियों की रिपोर्ट साझा करने के मुद्दे पर तीखी बहस भी हुई। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के तहत नैसर्गिक न्याय का पालन किया जा रहा है तथा जो दस्तावेज आरोप पत्र या केस डायरी का हिस्सा बनेंगे उन्हें आरोपी के साथ साझा नहीं किया जा सकता।

सिंह ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, ‘‘ मेरे 84 वर्षीय पिता एवं पत्नी को ईडी ने मेरे विरूद्ध बिना कोई आरोप सिद्ध किये गिरफ्तार कर लिया। अब वे मेरे बच्चों को गिरफ्तार करेंगे। मेसर्स ग्रांट थॉर्नटन द्वारा की गई फॉरेंसिक ऑडिट की प्रति मुझे दिये बगैर, यह अनुचित हैं, इस अदालत ने मेरी कंपनी अपने कब्जे में ले ली है।’’

उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट कहती कि उन्होंने खरीदारों का पैसा अन्यत्र लगा दिया और ईडी उसी आधार पर आगे बढ़ रही है, लेकिन जबतक वह दोषी साबित नहीं हो जाते तबतक तो निर्दोष ही हैं।

सिंह ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, ‘‘ 2600 करोड़ रुपये में से मैंने घर खरीदारों से 1400 करोड़ जुटाए और अपनी जेब से 1200 करोड़ रुपये लगाये। हम देश में दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी हैं और हमने घर खरीदारों को एक लाख से अधिक फ्लैट दिये हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यदि कल को मैं धन की हेराफेरी के आरोपों से बरी हो जाता हूं तो क्या यह अदालत घड़ी की सूई को पीछे कर देगी। यह संभव नहीं होगा और अदालत को पछताना पड़ेगा। ’’

इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने नाराज होकर कहा, ‘‘ यह किस प्रकार की दलील है कि इस अदालत को अपनी गलती पर पछताना होगा। यह किस प्रकार की भाषा है?आप अदालत के विरूद्ध आरोप लगा रहे हैं। हम कानून से बंधे हैं और उन रिपोर्ट को साझा नहीं कर सकते हैं, जो केस डायरी का हिस्सा बनेगी। शायद आपको आपके मुवक्किल ने सही ढंग से ब्रीफ नहीं किया हो। हम नैसर्गिक न्याय से बहुत परिचित हैं।’’

इस पर हस्तक्षेप करते हुए न्यायमूर्ति शाह ने कहा, ‘‘ अपनी आवाज इतनी ऊंची मत कीजिए, बात को आगे मत बढ़ाइए। ऐसा जान पड़ता है कि आप नहीं जानते हैं कि किस लेन-देन में आपकी (आपके मुवक्किल की) पत्नी शामिल हैं। ऐसी बातें मत कहिए और अदालत के विरूद्ध दोषारोपण मत कीजिए। श्री विकास सिंह हमने आपसे इसकी कभी उम्मीद नहीं की थी। ’’

शुरू में जब अदालत जांच एजेंसियों की रिपोर्ट पर गौर कर रही थी, तब सिंह ने कहा कि इस प्रकार की एकपक्षीय सुनवाई नहीं होनी चाहिए थी और उनकी बातों को सुना जाए- यह उनका संवैधानिक अधिकार है।

पीठ ने कहा कि वह स्थिति रिपोर्ट उनसे साझा करने की अनुमति नहीं दे सकती क्योंकि जांच अब भी जारी है तथा दस्तावेज केस डायरी का हिस्सा हो सकते हैं।

सिंह ने कहा कि अदालत और कितनी रियल एस्टेट कंपनियां चलाएगी क्योंकि वह आम्रपाली और यूनिटेक को पहले से ही चला रही है, जहां हर छोटी बात के लिए अनुमति की जरूरत होती है।

छब्बीस अगस्त को शीर्ष अदालत ने चंद्रा बंधुओं को राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल से महाराष्ट्र में मुंबई की आर्थर रोड जेल और तलोजा जेल स्थानांतिरत करने का निर्देश दिया था क्योंकि ईडी ने उससे कहा था कि वे जेलकर्मियों की मिलीभगत से जेल परिसर से अपना कारोबार चला रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने ईडी की दो स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा था कि तिहाड़ जेल के अधीक्षक और अन्य कर्मी अदालती आदेश को धत्ता बताकर चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत करने में ‘बिल्कुल बेशर्म हैं।

न्यायालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को चंद्रा बंधुओं के सिलसिले में तिहाड़ जेल के कर्मियों के आचरण की व्यक्तिगत रूप से जांच करने का निर्देश दिया था।

चंद्रा बंधुओं एवं रियलिटी कंपनी यूनिटेक के विरूद्ध धनशोधन अधिनियम की जांच कर रही ईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि संजय एवं अजय ने पूरी न्यायिक हिरासत को बेमतलब बना दिया है क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से संवाद कर रहे हैं, अपने अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं और जेल के अंदर से संपत्ति का कारोबार कर रहे हैं, इन सारे कामों में जेल कर्मी उनका साथ दे रहे हैं। अगस्त, 2017 से जेल में बंद संजय और अजय पर घर खरीदारों का पैसा कथित रूप से गबन करने का आरोप है।

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर, 2017 में यूनिटेक के प्रवर्तकों को 31 दिसंबर, 2017 तक न्यायालय की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपए जमा कराने का निर्देश दिया था।

दोनों भाइयों का दावा है कि उन्होंने न्यायालय की शर्तो का अनुपालन किया है और 750 करोड़ रुपए से भी ज्यादा राशि जमा करा दी है। इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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