कभी विपक्षी दल इन कृषि सुधारों का समर्थन करते थे, आज इस पर राजनीति कर रहे हैं: मोदी

By भाषा | Updated: December 18, 2020 23:09 IST2020-12-18T23:09:40+5:302020-12-18T23:09:40+5:30

Opposition parties once supported these agricultural reforms, today they are doing politics on it: Modi | कभी विपक्षी दल इन कृषि सुधारों का समर्थन करते थे, आज इस पर राजनीति कर रहे हैं: मोदी

कभी विपक्षी दल इन कृषि सुधारों का समर्थन करते थे, आज इस पर राजनीति कर रहे हैं: मोदी

भोपाल, 18 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नए कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कहा कि इन पर दशकों से काम हो रहा था और जो लोग अब अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए इनका विरोध कर रहे हैं, वे स्वयं कभी इन्ही सुधारों का समर्थन करते थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्षी दल नए कानूनों के खिलाफ हैं क्योंकि वे इस बात से खफा हैं कि उन्हें (मोदी) इसका श्रेय मिलेगा। मोदी ने कहा कि उन्होंने कोई श्रेय नहीं मांगा लेकिन किसी को किसानों को गुमराह नहीं करना चाहिए ।

प्रधानमंत्री मोदी ने ऑनलाइन माध्यम से रायसेन और मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह बात सरासर झूठ है कि नए कानूनों से उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन शुक्रवार को 23 वें दिन में प्रवेश कर गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के साथ बात करने को तैयार है।

उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार के सभी प्रयासों के बाद भी अगर किसी को कृषि कानूनों पर कोई संदेह है, तो हम हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर बातचीत के लिए तैयार हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नए कृषि कानून रातों-रात नहीं आये हैं बल्कि राजनीतिक दलों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों द्वारा इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी।’’

उन्होंने नए कृषि कानूनों की वकालत करते हुए कहा कि भारत में खेती को बदली हुई वैश्विक स्थिति में आधुनिकीकृत किया जाना चाहिए ।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 20-22 वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने इन कृषि सुधारों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया है। किसान संगठन, कृषि वैज्ञानिक और किसान भी लगातार इसकी मांग कर रहे थे।’’

विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को उन दलों और नेताओं से जवाब मांगना चाहिये जिन्होंने वोटों के लिये अपने घोषणापत्र में इन सुधारों के बारे में बात तो की लेकिन इन्हें कभी लागू नहीं किया, क्योंकि यह उनकी प्राथमिकता में नहीं था।

उन्होंने विपक्षी दलों की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘सभी लोगों के घोषणा पत्र देखे जायें, उनके बयान सुने जायें, पहले जो देश की व्यवस्था संभाल रहे थे। आज के कृषि सुधार उनसे अलग नहीं हैं। वो जो वादा करते थे, वही बातें इस कृषि सुधार में की गयी हैं। मुझे लगता है, उनको पीड़ा इस बात की है कि जो काम वे कहते थे वे नहीं कर पाये और मोदी ने ये कैसे किया। मोदी को श्रेय क्यों मिले। तो मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूं, आपके घोषणा पत्र को श्रेय दीजिये। मुझे श्रेय नहीं चाहिये। मुझे किसानों के जीवन में आसानी और समृद्धि चाहिये। आप कृपा करके किसानों को बरगलाना और भ्रमित करना छोड़ दीजिये।’’

मोदी ने कहा कि हम बार-बार पूछ रहे हैं कि नए कृषि कानूनों में दिक्कत क्या है लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यही इन दलों की सच्चाई है, जिनकी खुद की राजनीतिक जमीन खिसक गयी है वो किसानों की जमीन चले जाने का डर दिखाकर अपनी राजनीतिक जमीन खोज रहे हैं।’’

मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, जब ये पार्टियां सत्ता में थीं तो कृषि क्षेत्र पर स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट दबा कर बैठ गए क्योंकि वे किसानों को अधिक एमएसपी (जिसकी रिपोर्ट में सिफारिश की थी) नहीं देना चाहते थे।

उन्होने कहा ,‘‘ भारत की कृषि और किसान अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता हैं। दुनिया के बड़े- बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधा मिलती है। वह सुविधा भारत के किसानों को भी मिले। इसमें अब और देर नहीं की जा सकती। समय हमारा इंतजार नहीं कर सकता। तेजी से बदले वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान आधुनिक सुविधाओं के अभाव में असहाय होता जाये यह स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती। पहले ही बहुत देर हो चुकी है जो काम 25-30 साल पहले हो जाना चाहिये थे, वह आज करने की नौबत आई है।’’

उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति हमारी संवेदनशील सरकार उन्हें अन्नदाता मानती है, ‘‘हमने फाइलों की ढेर में फेंक दी गयी स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू किया और लागत का डेढ़ गुना एमएसपी किसानों को दिया।’’

उन्होंने कांग्रेस पर राजस्थान और मध्यप्रदेश में किसानों के कर्ज माफी के वादे को पूरा नहीं करने का भी आरोप लगाया और कहा कि इस वजह से किसानों को वहां बैकों के नोटिस मिल रहे हैं।

एमएसपी हटा दिये जाने की किसानों की आशंका पर प्रधानमंत्री ने साफ किया, ‘‘हमारी सरकार एमएसपी को लेकर इतनी गंभीर है कि हर बार बुवाई से पहले ही फसलों के लिए इसकी घोषणा कर देती है। इससे किसान को सुविधा होती है। छह माह से ज्यादा का समय हो गया ये कानून लागू किये। इसके बाद भी वैसे ही एमएसपी की घोषणा की गयी, जैसे पहले की जाती थी। महामारी के बाद भी उपज खरीदी गयी। उन्ही मंडियों में खरीद हुई। क्या कोई समझदार इस बात को स्वीकार करेगा की एमएसपी बंद हो जायेगी। इससे बड़ा कोई झूठ, षड्यंत्र नहीं हो सकता। मैं देश के हर किसान को विश्वास दिलाता हूं, एसएसपी जैसे पहले दी जाती थी, वह दी जायेगी, न बंद होगी, न समाप्त होगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों का विरोध करने वाले कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) के बारे में भी झूठ फैला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 70 साल से सरकार किसानों को यह जरुर बताती रही कि आप सिर्फ इसी मंडी में अपनी उपज बेच सकते हो, नई जगह पर उपज नहीं बेची जा सकती, इस नये कानून में सिर्फ इतना किया गया है कि अगर किसान को उपज मंडी में बेचना है तो वहां बेचे और यदि बाहर दाम ज्यादा मिले तो वहां भी बेच सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले छह महीने में एक भी मंडी बंद नहीं हुई। दरअसल, सरकार मंडियों के आधुनिकीकरण पर 500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।’’

निजी संस्थाओं और किसानों के बीच अनुबंधों पर नए कानून का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के समझौते पहले भी मौजूद थे ।

मोदी ने कहा, ‘‘नया कानून इस तरह के समझौतों को निजी संस्थाओं पर अधिक बाध्यकारी बनाता है और वे किसान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से भाग नहीं सकते भले ही उन्हें नुकसान उठाना पड़े।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे पर 25 दिसंबर को फिर से किसानों को संबोधित करेंगे।

किसान सम्मेलन को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश के 35.50 लाख किसानों को 1,600 करोड़ रुपये की राहत राशि की पहली किस्त का हस्तांतरण भी किया।

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