नयी दिल्ली, छह जुलाई राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ओमेक्सी लिमिटेड को चंडीगढ़ में उसकी परियोजना को लेकर फटकार लगाते हुए एक समिति गठित करने के आदेश को वापस लेने की उसकी याचिका खारिज कर दी। समिति ने कंपनी को एक नदी का रुख बदलने का दोषी पाया था।
एनजीटी ने ओमेक्सी की इस दलील को खारिज कर दिया कि चूंकि समिति गठित करते समय उसकी बात नहीं सुनी गई इसलिये यह ''नैसर्गिक न्याय'' का उल्लंघन है।
अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उद्देश्य प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करना है और उनमें कोई तय विषयवस्तु नहीं होती।
एनजीटी ने कहा कि 25 सितंबर, 2019 के अपने पहले आदेश के माध्यम से उसने शिकायत को नोट किया और वैधानिक नियामकों से एक तथ्यात्मक व कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) मांगी।
पीठ ने कहा, “रियल एस्टेट डेवलपर के अनुसार, ओमेक्सी की बात सुने बिना रिपोर्ट नहीं मांगी जा सकती थी। हम इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। केवल तथ्यों का पता लगाने से कोई पूर्वाग्रह नहीं दिखाया जाता। तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगने से पहले पूर्व सुनवाई की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है।
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