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ऑफलाइन स्कूल : बच्चों के लिए नयी व्यवस्था अब भी विचित्र, लेकिन वे खुश हैं

By भाषा | Updated: September 29, 2021 17:40 IST

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(मनीष सैन)

नयी दिल्ली, 29 सितंबर एक महीने से विद्यालय जा रही ग्यारहवीं कक्षा की मानसी इस बात से खुश है कि उसे अब मोबाइल फोन अपने भाई-बहनों के साथ साझा नहीं करना होगा जैसा कि उसने एक माह पहले तक अंतहीन लग रहे अकादमिक सत्र में किया। लेकिन वह इस बात को लेकर परेशान भी है कि कक्षा में वह अपनी सहेलियों के इतने करीब नहीं बैठ सकती कि उनके कान में कुछ फुसफुसा सके।

अविशी गोयल भी दिल्ली में एक निजी विद्यालय में अपनी कक्षा में आने लगी है लेकिन वह हर वक्त मास्क लगाने, लंच बॉक्स साझा नहीं करने, एक दूसरे से दूर ही रहने जैसी व्यवस्था से अभ्यस्त होने की कोशिश कर रही है।

दिल्ली सरकार द्वारा 50 फीसद क्षमता के साथ नौंवी से 12 तक की कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय खोलने की अनुमति देने के बाद विद्यार्थियों एवं अध्यापकों ने पठन-पाठन कक्षाओं में आमने सामने शुरु किया।

कोविड महामारी का अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग मतलब रहा -- मानसी जैसे बच्चों को तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते अपनी ऑनलाइन कक्षा छोड़नी पड़ती थी । उसकी तुलना में अविशी अधिक भाग्यशाली है क्योंकि उसके पास उपकरण थे। परंतु वह ऑनलाइन पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती थी। उधर शिक्षकों के लिए कोविड के डर, घर की जिम्मेदारियों एवं स्क्रीन पर विद्यर्थियों से जुड़ने के कठिन कार्य के बीच संतुलन कायम करना मुश्किल होता था।

वैसे तो कोविड का खतरा बना हुआ है लेकिन देश के बड़े हिस्सों में मामले घटे हैं , जिसके बाद शिक्षाविदों, अभिभावकों एवं विद्यार्थियों ने कहा कि स्थिति सामान्य की ओर ले जाना जरूरी है ताकि प्रभावी शिक्षण की प्रक्रिया जारी रह सके। कई लोगों का मानना था कि कक्षाओं में लौट जाना ही डिजिटल विभाजन, शिक्षा की गुणवत्ता, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य तथा सामाजिक संवाद की जरूरत के मुद्दों का जवाब है।

मानसी (16) ने कहा, ‘‘ मुझे अक्सर कक्षा छोड़नी पड़ती थी क्योंकि मेरे भाई-बहनों में कोई एक अपनी कक्षा कर रहा होता था। यह राहत की बात है कि विद्यालय खुल गये। अब मुझे फोन रखने एवं नेटवर्क की की चिंता नहीं है। ’’ मानसी के पिता ड्राइवर हैं।

कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा सानिया सैफी को भी डिजिटल विभाजन से दो-चार होना पड़ा। उसके और उसके मां के पास एक ही मोबाइल था। उसने कहा, ‘‘ ऑनलाइन कक्षा में बैठना मुश्किल होता था क्योंकि कोई न कोई फोन करता था और मैं उस फोन कॉल को काटूं , उससे पहले मेरी कक्षा ही डिस्कनेक्ट हो जाती थी। नेटवर्क की समस्या के कारण फिर से कक्षा में शामिल होना मुश्किल होता था।’’

देश भर में कोविड-19 की स्थिति सुधरने के बाद तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा एवं राजस्थान समेत कई राज्यों में जुलाई से विद्यालय खुल गए।

वैसे दिल्ली थोड़ी सचेत है। सूत्रों ने बताया कि बुधवार को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने त्योहारी सीजन के बाद छोटे बच्चों के लिए विद्यालय खोलने का फैसला किया है। उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में हुई बैठक में मौजूद रहे सूत्रों ने कहा कि कोविड की स्थिति सुधर रही है लेकिन एहतियात बनाये रखना जरूरी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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