दो दशक में ओडिशा ने 10 चक्रवातों का सामना किया

By भाषा | Updated: December 4, 2021 19:48 IST2021-12-04T19:48:37+5:302021-12-04T19:48:37+5:30

Odisha faced 10 cyclones in two decades | दो दशक में ओडिशा ने 10 चक्रवातों का सामना किया

दो दशक में ओडिशा ने 10 चक्रवातों का सामना किया

भुवनेश्वर, चार दिसंबर ओडिशा के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) के आधिकारिक रिकॉर्ड में कहा गया है कि राज्य ने 22 साल की अवधि में आसन्न ‘जवाद’ सहित 10 चक्रवातों का सामना किया है तथा ऐसी प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति बढ़ रही है।

वर्ष 1999 के ‘महाचक्रवात’ की यादें अभी भी ताजा हैं, जिसकी हवाओं की गति का मौसम विज्ञान केंद्र, भुवनेश्वर में ठीक से पता नहीं लगाया जा सका, और हवाओं की रफ्तार उस समय उपलब्ध एनीमोमीटर की क्षमता को पार कर गई थी।

दस हजार से अधिक लोगों की जान लेने वाली 1999 की आपदा के बाद, राज्य ने चक्रवात ‘फैलिन’ के रूप में एक और बड़ी आपदा का अनुभव किया था। यह चक्रवात 12 अक्टूबर, 2013 को गंजाम जिले के गोपालपुर के पास तट से टकराया था जो 1999 के बाद से भारत में दूसरा सबसे मजबूत उष्णकटिबंधीय चक्रवात बन गया। यह ओडिशा तट से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराया था।

रिकॉर्ड में कहा गया है कि नवीन पटनायक सरकार द्वारा एहतियाती उपायों के साथ "शून्य जनहानि" मिशन तय किए जाने के बाद चक्रवाती तूफान में 23 लोग मारे गए थे। ‘फैलिन’ के बाद 2014 में चक्रवात ‘हुदहुद’ आया, जिसने 12 अक्टूबर, 2014 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम शहर में दस्तक दी।

ओडिशा भी ‘हुदहुद’ से प्रभावित था जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी, जबकि आंध्र प्रदेश में इससे 60 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

इसके बाद, 2018 में चक्रवात ‘तितली’ ने अधिकारियों को हैरान कर दिया था, क्योंकि मौसम प्रणाली ने अप्रत्याशित रूप से अपना मार्ग बदल लिया था और यह गजपति जिले में प्रवेश कर गया था, जहां आपदा से निपटने के लिए कोई बड़ी तैयारी नहीं की गई थी। तब ओडिशा में भारी बारिश और चक्रवात के साथ हुए भूस्खलन के कारण 70 लोग मारे गए थे।

इसके बाद के उसी वर्ष में, दो चक्रवात - ‘फणि’ और ‘बुलबुल’ देश के पूर्वी तट से टकराए, जिससे ओडिशा और पश्चिम बंगाल में व्यापक क्षति हुई। ‘फणि’ तट से टकराने से एक दिन पहले अपनी चरम तीव्रता पर पहुंच गया था और 209-251 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार वाली हवाओं के साथ यह उच्च श्रेणी-4 के प्रमुख तूफान के रूप में चिह्नित किया गया था।

वर्ष 2020 में चक्रवात ‘अम्फान’ की वजह से भी ओडिशा और पश्चिम बंगाल में जानमाल का नुकसान हुआ था। यह 20 मई को पश्चिम बंगाल में बक्खाली के पास टकराया था। यह इस सदी का पहला ‘मॉनसून-पूर्व महाचक्रवात’ था जो बंगाल की खाड़ी से निकला था।

इस साल मई में, चक्रवात ‘यास’ ओडिशा के धामरा टकराया था जिससे दो लोगों की मौत हो गई थी।

कुछ ही समय बाद, सितंबर में, चक्रवात ‘गुलाब’ अपने साथ भारी बारिश लेकर ओडिशा-आंध्र प्रदेश तट को पार कर गया। चक्रवात ‘गुलाब’ की शेष बची शक्ति से तब एक अनोखी मौसम घटना में चक्रवात ‘शाहीन’ उत्पन्न हो गया। ‘शाहीन’ नाम कतर ने और ‘गुलाब’ नाम पाकिस्तान ने रखा था।

विभिन्न राज्यों और पड़ोसी देशों में 20 से अधिक लोगों की चक्रवात ‘गुलाब’ से मौत हो गई थी। हालांकि, रिकॉर्ड दिखाते हैं कि ओडिशा में इससे कोई मौत नहीं हुई थी।

ओडिशा इस समय चक्रवात ‘जवाद’ के लिए तैयार है, जिसे लगभग 100 वर्षों में राज्य में पहला शीतकालीन चक्रवात माना जा रहा है। हालाँकि, चक्रवात कमजोर हो गया है और हो सकता है कि तट इसकी चपेट में न आए।

क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, भुवनेश्वर के पूर्व निदेशक शरत सी साहू ने कहा कि चक्रवातों की आवृत्ति में वृद्धि के लिए जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख कारक है।

उन्होंने कहा, "जब समुद्र का तापमान 26.5 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक हो जाता है, तो यह कम दबाव को तेज करने में मदद करता है। इस बार, जवाद के मामले में, समुद्र के पानी का तापमान 29 डिग्री सेल्सियस है। इसके अलावा समुद्री प्रदूषण भी चक्रवात के लिए उपयुक्त स्थिति तैयार करने का एक अन्य कारक हो सकता है।

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Web Title: Odisha faced 10 cyclones in two decades

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