ओडिशा: भूख, कोविड जैसी तमाम परेशानियों को मात देकर 19 गरीब छात्र डॉक्टर बनने की राह पर अग्रसर

By भाषा | Updated: January 3, 2021 19:25 IST2021-01-03T19:25:34+5:302021-01-03T19:25:34+5:30

Odisha: 19 poor students on the path of becoming doctors by defeating all the problems like hunger, kovid | ओडिशा: भूख, कोविड जैसी तमाम परेशानियों को मात देकर 19 गरीब छात्र डॉक्टर बनने की राह पर अग्रसर

ओडिशा: भूख, कोविड जैसी तमाम परेशानियों को मात देकर 19 गरीब छात्र डॉक्टर बनने की राह पर अग्रसर

भुवनेश्वर, तीन जनवरी गरीब परिवारों में जन्म लेने वाले कुछ छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। ओडिशा के ऐसे ही 19 छात्र अब भूख, गरीबी और कोविड जैसी तमाम परेशानियों को मात देकर डॉक्टर बनने की दिशा में अग्रसर हैं।

इन छात्रों ने एक एनजीओ की सहायता से चिकित्सा क्षेत्र में जाने के लिए जी-तोड़ मेहनत की और अब ये सभी 2020 में नीट परीक्षा पास कर विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में दाखिला पा चुके हैं।

ओडिशा के एक धर्मार्थ समूह ने इन 19 गरीब छात्रों के डॉक्टर बनने के सपने को वास्तविकता में तब्दील करने में सहायता उपलब्ध कराई, जिसके सभी अभ्यर्थियों ने गत अक्टूबर में राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) में सफलता हासिल की।

इन छात्रों में से किसी के अभिभावक दिहाड़ी मजदूर हैं तो किसी के पिता सब्जी विक्रेता, ट्रक चालक, मछुआरे या इडली-वड़ा बेचने वाले हैं।

इन सभी मेधावी छात्रों को प्रशिक्षित करने में सबसे अहम भूमिका शिक्षाविद अजय बहादुर सिंह की है जो अपने एनजीओ के माध्यम से ''जिंदगी'' कार्यक्रम के जरिए गरीब छात्रों के सपनों को सच कर रहे हैं।

अजय अपने बचपन में गरीबी एवं अन्य मजबूरियों के चलते डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर सके थे।

बिहार के गणितज्ञ आनंद कुमार के ''सुपर-30'' की तरह ही ओडिशा के अजय की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। आनंद भी आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को इंजीनियर बनने में सहायता उपलब्ध कराते हैं।

सफलता प्राप्त करने वाले मेडिकल अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन कामयाबी का यह दिन उन्हें देखने को मिलेगा। वे अजय बहादुर सिंह की दरियादिली का आभार जताते हुए कहते हैं कि उन्होंने ना केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी कामयाबी के लिए प्रोत्साहित किया।

ओडिशा के दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाली खिरोदिनी साहू, रोशन पाइक, सत्यजीत साहू और देबाशीष बिस्वाल की कहानी संघर्षों से भरी है, जिनके परिवार दो जून की रोटी के लिए रोजाना जद्दोजहद करते हैं।

खेतों में अपने माता-पिता की मदद करने वाली खिरोदिनी साहू ने कहा, '' मेरा यह जीवन अजय सर के लिए समर्पित है।''

देबाशीष बिस्वाल ने कहा, '' हम गरीब परिवारों में पैदा हुए लेकिन यह केवल जिंदगी फाउंडेशन ही था जिसकी वजह से हम अपने सपने को जिंदा रख सके और अब हम डॉक्टर बनने की राह पर हैं।''

जिंदगी फाउंडेशन पूरे ओडिशा के ऐसे मेधावी छात्रों का चयन करता है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और फिर उनके रहने से लेकर नीट पास करने तक का पूरा खर्च वहन करता है।

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