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ओबीसी आरक्षण: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव से संबंधित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई

By भाषा | Updated: December 14, 2021 20:04 IST

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नयी दिल्ली, 14 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह बुधवार को उस मामले की सुनवाई करेगा जिसमें उसने पिछले सप्ताह महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों पर अगले आदेश तक चुनाव पर रोक लगा दी थी।

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने कहा कि वह बुधवार को इस मामले से निपटेगी क्योंकि राज्य में चुनाव रुके हुए हैं।

महाराष्ट्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि उन्होंने ओबीसी के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों पर चुनाव पर रोक संबंधी शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेश से संबंधित एक आवेदन दायर किया है।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ से कहा कि सभी सीटों पर चुनाव पर रोक लगाई जा सकती है क्योंकि केवल केवल ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर रोक रहने से समुदाय को पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ता है।

दवे ने शीर्ष अदालत से कुछ ''न्यायसंगत समाधान'' तलाशने का आग्रह किया, अन्यथा ओबीसी को नुकसान होगा।

पीठ ने कहा, ''हम कल जारी रख रहे हैं, आप कल बहस कर सकते हैं।''

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने छह दिसंबर को महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अन्य सीटों के लिये चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी। शीर्ष अदालत ने दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था। इन याचिकाओं में से एक में कहा गया कि एक अध्यादेश के माध्यम से शामिल/संशोधित प्रावधान समूचे महाराष्ट्र में संबंधित स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्ग के नागरिकों के लिये समान रूप से 27 प्रतिशत आरक्षण की इजाजत देते हैं।

पीठ ने तब कहा था, “इसके फलस्वरूप, राज्य चुनाव आयोग को केवल संबंधित स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों के संबंध में पहले से अधिसूचित चुनाव कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह का मुद्दा पहले भी उसके समक्ष आया था और तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस पर फैसला दिया था जिसमें न्यायालय ने कहा था कि ओबीसी श्रेणी के लिये ऐसे आरक्षण के प्रावधान से पहले तिहरा परीक्षण किया जाना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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