व्यावसायिक विवादों से जुड़े मुकदमों के निपटारे में लगने वाले दिनों की संख्या कम हुई
By भाषा | Updated: August 22, 2021 16:22 IST2021-08-22T16:22:08+5:302021-08-22T16:22:08+5:30

व्यावसायिक विवादों से जुड़े मुकदमों के निपटारे में लगने वाले दिनों की संख्या कम हुई
कानून मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार दिल्ली और मुंबई में व्यावसायिक विवादों के मुकदमे की सुनवाई और निर्णय में लगने वाले दिनों की संख्या में काफी कमी आई है। भारत के लिए विश्व बैंक की ‘डूइंग बिजनेस’ रिपोर्ट के अनुसार 2020 में व्यावसायिक विवादों के मुकदमे की सुनवाई और निर्णय में 1,095 दिन लगते थे। कानून मंत्रालय में न्याय विभाग द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के अनुसार, सुधारों पर जोर देने के बाद दिल्ली में मुकदमे के निपटारे के दिनों की संख्या घटकर 424 और मुंबई में 306 रह गई है। सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 मामलों के प्रबंधन के लिए मानक समय प्रदान करती है। इसके अनुसार प्रतिवादी को नोटिस तामील होने के 30 दिनों के भीतर लिखित बयान दाखिल किया जाना चाहिए और सुनवाई की समाप्ति तिथि से 30 दिनों के भीतर फैसला सुनाया जाना चाहिए। विभाग ने कहा है कि समर्पित व्यावसायिक अदालतों में 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में समय मानकों का पालन किया जाता है। यह दावा किया गया है कि प्रमुख अदालती कार्यवाही के लिए समय मानक तय करने और मुकदमा प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने से मामले के निपटारे में तेजी आई है। सीपीसी के आदेश 17वें नियम (1) के तहत मुकदमे की सुनवाई के दौरान अधिकतम तीन स्थगन का प्रावधान है। सीपीसी के आदेश 17वें, नियम 2(बी) में कहा गया है कि किसी पक्ष के अनुरोध पर कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा, सिवाय इसके कि परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर हों। न्याय विभाग ने तीन स्थगन नियम का पालन करने के लिए दिल्ली, बंबई, कलकत्ता और कर्नाटक के उच्च न्यायालयों को पत्र भेजे थे। चारों उच्च न्यायालयों ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी समर्पित व्यावसायिक अदालतों को समय सीमा और तीन स्थगन नियम का सख्ती से पालन करने के लिए सलाह जारी की है। विभाग ने कहा कि इसने मुकदमे की सुनवाई, दलीलें रखने और अंतिम निर्णय के लिए लगने वाले समय को कम कर दिया है।
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