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NRC मामला: असम की नागरिकता सूची को लेकर बीजेपी-कांग्रेस समेत राजनीतिक दलों के नेताओं ने क्या कहा, यहां पढ़ें

By शीलेष शर्मा | Updated: August 31, 2019 20:50 IST

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जो अंतिम सूची जारी की गयी है उसमें 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल किये गये है. पूर्वोत्तर के इस संवेदनशील मुददे से निपटने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज अपने आवास पर एक आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में गुलामनबी आजाद, असम के प्रभारी हरीश रावत, गोरव गोगोई सहित दूसरे नेता मौजूद थे.

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असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्ट्रर के अंतिम सूची जारी होते ही राजनीतिक दलों में कोहराम मच गया है. दरअसल कांग्रेस, भाजपा सहित क्षेत्रीय दलों को अपने-अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है. भाजपा जो बंगलादेशियों के सवाल पर राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्ट्रर को लेकर सबसे बड़ी समर्थक बनी हुई थी वह भी इस सूची के खिलाफ खड़ी हो गयी है. 

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद तैयार की गयी इस सूची में अब कमियां खोजी जा रही है और आरोप लग रहा है कि आखिर 19 लाख लोगों के नाम कैसे सूची से बाहर हो गये. गौरतलब है कि जब इसकी ड्राफ्ट रिपोर्ट जारी की गयी तो पहली सूची में लगभग 40 लाख लोगों के नाम गायब थे, हैरानी के बात तो यह है कि जिन लोगों के नाम ड्राफ्ट रिपोर्ट में थे अंतिम सूची में उन्हीं के नाम बाहर हो गये.  

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जो अंतिम सूची जारी की गयी है उसमें 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल किये गये है. पूर्वोत्तर के इस संवेदनशील मुददे से निपटने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज अपने आवास पर एक आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में गुलामनबी आजाद, असम के प्रभारी हरीश रावत, गोरव गोगोई सहित दूसरे नेता मौजूद थे.

बैठक के बाद गौरव गोगोई ने कहा कि असम में प्रत्येक वर्ग इस सूची से नाखुश है. यहां तक की भाजपा के मंत्री भी इस सूची पर अंगुलियां उठा रहे हैं क्योंकि इस पर अमल करते समय वास्तविक भारतीयों के नाम छोड़ दिये गये हैं जिन्हें अब कोर्ट के चक्कर लगाने होगें.

गोगोई के अलावा मुकुल संगमा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश उस फैसले की रोशनी में दिया गया जो राजीव गांधी द्वारा लिया गया था, असम समझौते के तहत यह सोच थी कि भारत का कोई नागरिक छूटने ना पाए और उसके हितों की पूरी सुरक्षा हो. लोकसभा में अधीर रंजन ने भी वास्तविक भारतीय राजनीति के हितों की संरक्षण की मांग की है. उल्लेखनीय है कि अंतिम सूची से नाराज होने वाले लोगों में कांग्रेस, भाजपा के अलावा आसू सहित दूसरे दल भी शामिल है. आसू के अध्यक्ष दीपांकर कुमार ने दावा किया कि केंद्र और राज्य सरकार के पास गैर भारतीयों का पता लगाने की पूरी गुजांइश थी लेकिन वह ऐसा करने में नाकामयाब रही.

वहीं असम सरकार के वित्त मंत्री हेमंता विस्वा सरमा का तर्क था कि इस सूची में ऐसे लोगों को शामिल नहीं किया गया जो 71 से पहले बंगलादेश से भारत आये थे. उनका सीधा इशारा हिंदू शरणार्थी की ओर था. क्योंकि भाजपा इस सूची की आड़ में अपने हिन्दू वोट बैंक को लामबंद करने के लिए अब तक इसका समर्थन करती आई थी.

टॅग्स :एनआरसीअसमकांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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