NRC Final List Released: 1951 से ऐसे शुरू हुआ आगाज आज जारी हुई एनआरसी की अंतिम सूची, यहां जानें पूरा टाइमलाइन
By भाषा | Updated: August 31, 2019 13:46 IST2019-08-31T13:46:02+5:302019-08-31T13:46:02+5:30
असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई। इसमें करीब 19.07 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया है। एनआरसी के राज्य समन्वयक कार्यालय ने एक बयान में कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में 3.11 करोड़ लोगों को शामिल किया गया है।

31 दिसंबर को मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुआ जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ के नाम प्रकाशित किए गए।
असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई। इसमें करीब 19.07 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया है। एनआरसी के राज्य समन्वयक कार्यालय ने एक बयान में कहा कि 3,30,27,661 लोगों ने एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था। इनमे से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है।
शामिल किए गए और बाहर किए गए नामों को लोग एनआरसी की वेबसाइट nrcassam.nic.in पर देख सकते हैं। बयान में कहा गया कि सुबह 10 बजे अंतिम सूची प्रकाशित की गई। शामिल किए गए लोगों की पूरक सूची एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके), उपायुक्त के कार्यालयों और क्षेत्राधिकारियों के कार्यालयों में उपलब्ध है, जिसे लोग कामकाज के घंटों के दौरान देख सकते हैं।
इस सूची से असंतुष्ट लोग 120 दिन के भीतर विदेशी न्यायाधिकरण का रुख कर सकते हैं। असम सरकार ने पहले कहा था जिन लोगों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया उन्हें किसी भी स्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी ना घोषित कर दे। एनआरसी मसौदे के हिस्से के तौर पर 31 दिसम्बर 2017 आधी रात को 1.9 करोड़ लोगों के नाम इसमें शामिल किए गए थे।
आजादी के बाद से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के प्रकाशन तक असम में आव्रजन से जुड़े मामले से जुड़े घटनाक्रम इस प्रकार हैं:
1950: बंटवारे के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से असम में बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने के बाद प्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम लागू किया गया।
1951: स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना हुई। इसके आधार पर पहला एनआरसी तैयार किया गया।
1957: प्रवासी (असम से निष्कासन) कानून निरस्त किया गया। 1964-1965: पूर्वी पाकिस्तान में अशांति के कारण वहां से शरणार्थी बड़ी संख्या में आए।
1971: पूर्वी पाकिस्तान में दंगों और युद्ध के कारण फिर से बड़ी संख्या में शरणार्थी आए। स्वतंत्र बांग्लादेश अस्तित्व में आया।
1979-1985: विदेशियों की पहचान करने, देश के नागरिक के तौर पर उनके अधिकारी छीनने, उनके निर्वासन के लिए असम से छह साल आंदोलन चला जिसका नेतृत्व अखिल असम छात्र संघ (आसू) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (एएजएसपी) ने किया।
1983: मध्म असम के नेल्ली में नरसंहार हुआ जिसमें 3000 लोगों की मौत हुई। अवैध प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम पारित किया गया।
1985: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में केंद्र, राज्य, आसू और एएजीएसपी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें अन्य खंडों के अलावा यह भी कहा गया कि 25 मार्च 1971 को या उसके बाद आए विदेशियों को निष्कासित किया जाएगा।
1997: निर्वाचन आयोग ने उन मतदाताओं के नाम के आगे ‘डी’ (संदेहास्पद) जोड़ने का फैसला किया जिनके भारतीय नागरिक होने पर शक था।
2005: उच्चतम न्यायालाय ने आईएमडीटी कानून को असंवैधानिक घोषित किया। केंद्र, राज्य सरकार और आसू की बैठक में 1951 एनआरसी के अद्यतन का फैसला किया गया, लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई।
2009: एक गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाए जाने और एनआरसी के अद्यतन की अपील करते हुए उच्चतम न्यायालय में मामला दायर किया।
2010: एनआरसी के अद्यतन के लिए चायगांव, बारपेटा में प्रायोगिक परियोजना शुरू हुई। बारपेटा में हिंसा में चार लोगों की मौत हुई। परियोजना बंद कर दी गई।
2013: उच्चतम न्यायालय ने एपीडब्ल्यू की याचिका की सुनवाई की। केंद्र, राज्य को एनआरसी के अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया। एनआरसी राज्य समन्वयक कार्यालय की स्थापना।
2015: एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ।
2017: 31 दिसंबर को मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुआ जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ के नाम प्रकाशित किए गए।
30 जुलाई, 2018: एनआरसी की एक और मसौदा सूची जारी की गई। इसमें 2.9 करोड़ लोगों में से 40 लाख के नाम शामिल नहीं किए गए।
26 जून 2019: 1,02,462 लोगों की अतिरिक्त मसौदा निष्कासन सूची प्रकाशित।
31 अगस्त, 2019: अंतिम एनआरसी जारी।