बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष और अन्य को नोटिस

By भाषा | Updated: January 7, 2021 21:35 IST2021-01-07T21:35:03+5:302021-01-07T21:35:03+5:30

Notice to Rajasthan Legislative Assembly Speaker and others in case of BSP MLAs merged with Congress | बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष और अन्य को नोटिस

बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष और अन्य को नोटिस

नयी दिल्ली, सात जनवरी उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान में सितंबर 2019 में बसपा के सभी छह विधायकों के राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में विलय के मामले में दो याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को राज्य विधानसभा अध्यक्ष और अन्य को नोटिस जारी किये।

न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में विधानसभा सचिव और कांग्रेस में शामिल हुये बसपा के सभी छह विधायकों को भी नोटिस जारी किये हैं।

शीर्ष अदालत राजस्थान उच्च न्यायालय के 24 अगस्त, 2020 के आदेश के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी और भाजपा के विधायक मदन दिलावर की अलग अलग अपील पर सुनवाई कर रही थी।

उच्च न्यायालय ने बसपा विधायकों के विलय को मंजूरी प्रदान करने संबंधी विधान सभा अध्यक्ष के 18 सितंबर, 2019 के आदेश के खिलाफ बसपा की याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, अदालत ने बसपा को अपने छह विधायकों के दल बदल का मुद्दा उठाते हुये अध्यक्ष के समक्ष अयोग्यता याचिका दायर करने की छूट प्रदान कर दी थी।

उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त, 2020 को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि बसपा विधायकों के राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस में विलय के खिलाफ भाजपा के मदन दिलावार की अयोग्यता की याचिका पर तीन महीने के भीतर निर्णय करें।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने बसपा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चंद्र मिश्रा से सवाल किया, ‘‘आप उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष क्यों नहीं जाते? ’’

इस पर मिश्रा ने विधान सभा अध्यक्ष के आदेश और उच्च न्यायालय की कार्यवाही सहित सारे घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया।

बसपा ने अपनी अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका यह कहते हुये खारिज कर दी कि अध्यक्ष का 18 सितंबर, 2019 का आदेश प्रशासनिक था और यह 10वीं अनुसूची के चौथे पैराग्राफ के तहत विलय के दावे पर निर्णय करने संबंधी आदेश नहीं था।

अपील में कहा गया है कि 18 सितंबर, 2019 को रिकार्ड किये गये अध्यक्ष के आदेश ने इन विधायकों को अयोग्य घोषित कराने के बसपा के अधिकार को प्रभावित किया है।

दिलावर ने बसपा के विधायकों के विलय को चुनौती देते हुये उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के अमल पर रोक लगाई जाये।

इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने के लिये दिलावर की याचिका को निरर्थक बताते हुये उसका निस्तारण कर दिया था क्योंकि उच्च न्यायालय ने इसी मुद्दे पर अपना आदेश पारित कर दिया था।

राजस्थान विधानसभा के लिये 2018 में हुये चुनाव में ये छह विधायक बसपा के टिकट पर जीते थे लेकिन बाद में सितंबर, 2019 में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये थे। इन विधायकों में संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीना, जोगेन्द्र अवाना और राजेन्द्र गुधा शामिल हैं।

इन विधायकों ने 16 सितंबर, 2019 को कांग्रेस में विलय का आवेदन किया था और अध्यक्ष ने 18 सितंबर, 2019 को इस संबंध में आदेश दे दिये थे।

दिलावर ने इसे चुनौती देते हुये कहा था कि अध्यक्ष ने इन छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को गलत अनुमति दी है।

राजस्थान की 200 सदस्यीय विधान सभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस में बसपा के इन विधायकों के विलय से गहलोत सरकार की स्थिति मजबूत हो गयी थी। बसपा विधायकों के विलय के बाद विधान सभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 100 से ज्यादा हो गयी थी।

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Web Title: Notice to Rajasthan Legislative Assembly Speaker and others in case of BSP MLAs merged with Congress

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