भारत में पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने में ज्यादा वक्त नहीं : न्यायमूर्ति नरीमन

By भाषा | Updated: April 16, 2021 23:42 IST2021-04-16T23:42:54+5:302021-04-16T23:42:54+5:30

Not much time to become the first woman Chief Justice of India: Justice Nariman | भारत में पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने में ज्यादा वक्त नहीं : न्यायमूर्ति नरीमन

भारत में पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने में ज्यादा वक्त नहीं : न्यायमूर्ति नरीमन

नयी दिल्ली, 16 अप्रैल उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन ने शुक्रवार को उम्मीद जतायी कि वह वक्त ज्यादा दूर नहीं जब भारत को पहली प्रधान न्यायाधीश मिलेंगी।

न्यायामूर्ति नरीमन ने 26वें न्यायमूर्ति सुनंदा भंडारे स्मृति व्याख्यान में कहा, “भारत में, एक महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं लेकिन दुर्भाग्य से देश में एक महिला राष्ट्रपति और एक महिला प्रधानमंत्री होने के बावजूद कभी कोई महिला प्रधान न्यायाधीश नहीं रही।”

“इतिहास की महान महिलाएं” विषय पर न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, “आज हम (न्यायमूर्ति) सुनंदा की तस्वीर देखते हैं। वह भारत की प्रधान न्यायाधीश बनने की संभावित उम्मीदवारों में थीं। दुर्भाग्य से, जीवन उनके प्रति क्रूर रहा और उनका उल्लेखनीय करियर सिमट गया।”

उन्होंने कहा, “किसी भी रूप में, मौजूदा व्यवस्था को देखते हुए, मुझे उम्मीद है कि पहली महिला प्रधान न्यायाधीश के लिये अब ज्यादा देर नहीं होगी।”

देश में 26 जनवरी 1950 को उच्चतम न्यायालय के गठन के बाद से ही अब तक नियुक्त 48 प्रधान न्यायाधीशों की सूची में एक भी महिला का नाम नहीं रहा है।

उच्चतम न्यायालय में 1950 से 2020 तक नियुक्त कुल 247 न्यायाधीशों में से सिर्फ आठ महिला न्यायाधीश रही हैं।

न्यायमूर्ति सुनंदा भंडारे 1984 में दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुई थीं और 52 साल की उम्र में 1994 में उनका निधन हो गया था।

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Web Title: Not much time to become the first woman Chief Justice of India: Justice Nariman

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