नागरिकता संशोधन विधेयक: पूर्वोत्तर कांग्रेस के नेताओं ने कहा- संसद में पुरजोर विरोध करे पार्टी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 24, 2019 11:49 IST2019-11-24T11:49:26+5:302019-11-24T11:49:26+5:30

मोदी सरकार संसद में नागरिकता संशोधन बिल लाकर नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस की पूर्वोत्तर राज्यों की इकाइयों ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि वे ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक’ के विरुद्ध हैं।

north east congress leader says their party Mp should lodge protest against the citizenship amendment bill in both upper and lower house of parliament | नागरिकता संशोधन विधेयक: पूर्वोत्तर कांग्रेस के नेताओं ने कहा- संसद में पुरजोर विरोध करे पार्टी

पूर्वोत्तर कांग्रेस नागरिकता संसोधन बिल 2019 के खिलाफ सदन व सड़क पर दर्ज कराएगी विरोध

Highlightsनागरिकता संसोधन बिल के विरोध में पद यात्रा निकालेगी पूर्वोत्तर कांग्रेससंसद में नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जाएगा

2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार ने कई अहम और बड़े फैसले लिए हैं। अब केंद्र की मोदी सरकार संसद में नागरिकता संशोधन बिल लाकर नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करना चाहती है। यही वजह है कि कांग्रेस की पूर्वोत्तर राज्यों की इकाइयों ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि वे ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक’ के विरुद्ध हैं और संसद के दोनों सदनों में पार्टी को इसका विरोध करना चाहिए।

सरकार द्वारा संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश किए जाने की संभावना है। हालांकि सरकार की तरफ से इस बारे में फिलहाल आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने ''पीटीआई-भाषा'' को बताया, ''नागरिकता विधेयक को लेकर पार्टी ने फिलहाल कोई आधिकारिक रुख तय नहीं किया है। हालांकि, पूर्वोत्तर के राज्यों की इकाइयों से हाल ही में राय मांगी गई थी।

पीसीसी नेताओं ने विरोध कारण यह बताया है-

पूर्वोत्तर की सभी पीसीसी की तरफ से इसका विरोध किया गया है।'' दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार 1955 के नागरिकता कानून में बदलाव के लिए यह विधेयक लाने के प्रयास में है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इन समुदायों के उन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते एक साल से लेकर 6 साल से भारत में रह रहे हैं। असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने ''पीटीआई-भाषा'' से कहा, ''असम और पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों की कांग्रेस इकाइयां नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ हैं।

विरोध में पद यात्रा निकालेगी कांग्रेस-

यह विधेयक न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि इससे पूर्वोत्तर की मूल पहचान के लिए खतरा पैदा होगा।'' उन्होंने कहा कि इस विधेयक के विरोध में कांग्रेस 17 दिसंबर से असम में पदयात्रा निकालने जा रही है। पूर्वोत्तर के एक अन्य राज्य के पीसीसी अध्यक्ष ने कहा, ''हमने पार्टी नेतृत्व को अपने रुख से अवगत करा दिया है। हमारा यह भी कहना है कि संसद में यह विधेयक आने पर पार्टी को दोनों सदनों में इसका विरोध करना चाहिए।'' कांग्रेस ने इस विधेयक पर पूर्वोत्तर की अपनी इकाइयों की राय जानने के मकसद से पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक की अगुवाई में छह सदस्यीय समिति बनाई थी।

इस समिति ने पिछले महीने पूर्वोत्तर का दौरा किया और स्थानीय नेताओं से बातचीत की । सूत्रों का कहना कि पार्टी की प्रदेश ईकाई ने इस विधेयक के विरोध में होने के अपने रुख से समिति को अवगत कराया। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर में सिर्फ राजनीतिक दल नहीं, बल्कि कई सामाजिक संगठन भी इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। इस क्षेत्र के एक बड़े वर्ग का कहना है कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू किया जाता है तो पूर्वोत्तर के मूल लोगों के सामने पहचान और आजीविका का संकट पैदा हो जाएगा। 

नागरिकता  बिल 1955 में संसोधन से क्या बदलाव होगा?

जानकारी के लिए आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। यही नहीं भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य माने जाएंगे। 

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