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चार दिन के बाद भी मेघालय के खदान में फंसे खनिकों का कोई पता नहीं, एनडीआरएफ अभियान में शामिल

By भाषा | Updated: June 3, 2021 21:08 IST

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शिलांग, तीन जून मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले में एक अवैध कोयला खदान में फंसे पांच खनिकों को बचाने के काम में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) शामिल हो गया।

ये सभी खनिक कोयला खदान में पिछले चार दिनों से फंसे हुए हैं। यहां डायनामाइट विस्फोट के बाद खदान में पानी भर गया था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘एनडीआरएफ की 24 सदस्यों वाली एक टीम उमप्लेंग क्षेत्र के दुर्घटनास्थल पर पहुंची। यहां पहले से ही काम कर रही एसडीआरएफ और राज्य की अग्निशमन सेवा की टीम के साथ एनडीआरएफ ने काम शुरू कर दिया है।’’

उन्होंने बताया कि खदान में फंसे लोगों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।

इसी बीच खदान के मालिक शीनिंग लांगस्तांग को खदान के नजदीक सुतंगा गांव से गिरफ्तार कर लिया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।

पुलिस खदान के प्रबंधक का अब तक पता नहीं लगा पाई है। खदान प्रबंधक इस हादसे के बाद फरार हो गया था और उसने लोगों को इसका खुलासा नहीं करने की धमकी भी थी।

अधिकारी ने बताया कि खदान का मुंह 25फुटx25 फुट खोदा हुआ है और यह 500 फुट से ज्यादा गहरा है। ऐसा अनुमान है कि खदान से कोयला निकालने के लिए इसके भीतर कई छोटी-छोटी सुरंगें हैं।

अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ की टीम एक क्रेन की मदद से लोहे की डलिया में बैठकर घटनास्थल के जलस्तर का मुआयना भी कर चुकी है।

उन्होंने बताया कि बचाव टीम के गोताखोर लंबवत गहराई में सिर्फ़ 30-35 फुट तक ही सुरक्षित तरीके से जा सकते हैं क्योंकि यह खदान बेहद ऊँचाई पर स्थित है। अब तक जिला प्रशासन ने कम से कम पांच खनिकों की पहचान की है। इनमें से चार असम से हैं और एक त्रिपुरा से है। ये सभी खनिक रविवार शाम से ही खदान में फंसे हुए हैं।

शि किलो, अर किलो, लाई किलो और सूकिलो से लेकर सुतंगा और उम्पलेंग तक ताजा निकाला कोयला सड़कों पर मिला हैं। उमप्लेंग का यह घटनास्थल उस रियांगक्सन गांव से ज्यादा दूर नहीं है, जहां दिसंबर, 2018 में 15 खनिक फंस गए थे। यहां एनडीआरएफ, सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रयासों के बाद भी सिर्फ तीन शवों को बाहर निकाला जा सका था और बाद में अभियान को रोक दिया गया था।

मेघालय में 2014 से ही असुरक्षित और अवैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन की वजह से कोयले के खनन और परिवहन पर रोक है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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