प्राथमिकी रद्द कराने के लिए सीधे यहां आने की पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था नहीं की जा सकती: न्यायालय

By भाषा | Updated: September 8, 2021 19:19 IST2021-09-08T19:19:39+5:302021-09-08T19:19:39+5:30

No separate arrangement can be made for journalists to come here directly for cancellation of FIR: SC | प्राथमिकी रद्द कराने के लिए सीधे यहां आने की पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था नहीं की जा सकती: न्यायालय

प्राथमिकी रद्द कराने के लिए सीधे यहां आने की पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था नहीं की जा सकती: न्यायालय

नयी दिल्ली,आठ सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह नहीं चाहता कि प्रेस की स्वतंत्रता कुचली जाए लेकिन पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए सीधे उसके पास चले जाने के लिए वह कोई अलग व्यवस्था नहीं बना सकता।

उच्चतम न्यायालय ने डिजिटल समाचार पोर्टल ‘द वायर’ का प्रकाशन करने वाले ‘फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म’ और उसके तीन पत्रकारों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ताओं से प्राथमिकियां रद्द कराने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पास जाने के लिए कहा और उन्हें गिरफ्तारी से दो माह का संरक्षण दिया।

पीठ ने कहा,‘‘ आप उच्च न्यायालय जाइए और प्राथमिकियां रद्द करने का अनुरोध कीजिए। हम आपको अंतरिम राहत देंगे।’’

पीठ ने कहा,‘‘ हम पत्रकारों के लिए एक अलग व्यवस्था नहीं बना सकते, जिससे वे अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत सीधे हमारे पास आ सकें।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को समझती है और “प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलना नहीं चाहती है।”

न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से कहा कि वह सुरक्षा प्रदान करेगा तथा वे इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

पीठ ने कहा कि रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील नित्या रामकृष्णन ने याचिकाकर्ताओं के लिए कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपायों का अनुसरण करने की खातिर इस रिट याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया है। पीठ ने कहा कि आज से दो महीने की अवधि तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसक साथ ही पीठ ने याचिका को वापस लिया मानकर खारिज कर दिया।

यह याचिका ‘फाउंडेशन फॉर इडिपेंडेंट जर्नलिस्ट’ और तीन पत्रकारों- सिराज अली, मुकुल सिंह चौहान और इस्मत आरा की ओर से दायर की गई थी। उन्होंने रामपुर, गाजियाबाद और बाराबंकी में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों और उनके आधार पर हो सकने वाली कार्रवाई को रद्द करने का अनुरोध किया था।

वकील शदान फरासत के जरिए दायर याचिका में कहा गया कि ये प्राथमिकियां पूरी तरह से विभिन्न सार्वजनिक प्रासंगिकता की घटनाओं की पत्रकारीय रिपोर्टिंग के कारण दर्ज की गई हैं। याचिका में कहा गया है कि रामपुर में प्राथमिकी इस साल जनवरी में दर्ज की गई थी जबकि दो अन्य प्राथमिकियां जून में दर्ज की गईं।

याचिका में कहा गया, "प्रकाशित मामले का कोई भी हिस्सा दूर-दूर तक अपराध नहीं है, हालांकि यह सरकार या कुछ लोगों के लिए अप्रिय हो सकता है।” याचिका के अनुसार पोर्टल और उसके पत्रकारों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।

याचिका में कहा गया है कि बाराबंकी में दर्ज प्राथमिकी जिला प्रशासन के आदेश पर पुलिस द्वारा मई 2021 में क्षेत्र में एक मस्जिद गिराए जाने पर एक समाचार के संबंध में दर्ज की गई है।

याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस को इन प्राथमिकियों को रद्द करने के अलावा याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई से रोकने के आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका में शीर्ष अदालत से भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के कथित दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश देने का भी आग्रह किया गया है, जिनमें धारा 153-ए (धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) शामिल हैं।

इसमें कहा गया कि मीडिया की खबरों को लेकर “फैसला सुनाने का काम” पुलिस का नहीं है। मीडिया का काम आम लोगों की समस्याओं, प्रशासनिक नीति की प्रकृति और प्रभाव तथा दुनिया के अलग-अलग विचारों को प्रसारित करना है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि सांप्रदायिक सद्भाव के खिलाफ वास्तविक अपराधों से संबंधित भादंसं के संबंधित प्रावधानों का दुरुपयोग किया जा रहा है। याचिका में न्यायालय के 31 मई के आदेश का भी जिक्र किया गया है जिसमें दो ऐेसे समाचार चैनलों को सुरक्षा दी गयी थी जिनके खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: No separate arrangement can be made for journalists to come here directly for cancellation of FIR: SC

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे