कोई भी धर्म संकीर्ण मानसिकता की शिक्षा नहीं देता: अदालत

By भाषा | Updated: August 9, 2021 14:01 IST2021-08-09T14:01:45+5:302021-08-09T14:01:45+5:30

No religion teaches narrow mindedness: Court | कोई भी धर्म संकीर्ण मानसिकता की शिक्षा नहीं देता: अदालत

कोई भी धर्म संकीर्ण मानसिकता की शिक्षा नहीं देता: अदालत

चेन्नई, नौ अगस्त मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कोई भी धर्म संकीर्ण मानसिकता या किसी को नुकसान पहुंचाने की शिक्षा नहीं देता। इसके साथ ही अदालत ने एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को ‘हिन्दू धार्मिक एवं धर्मार्थ अनुदान’ (एचआरसीई) विभाग की सलाहकार समिति के अध्यक्ष पद से हटाने का अनुरोध किया गया था।

याचिका में कहा गया था कि स्टालिन को विभाग का अध्यक्ष तब तक नहीं होना चाहिए जब तक कि वह हिन्दू देवता के सामने हिन्दू धर्म का पालन करने की शपथ नही लेते।

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पी डी आदिकेशवुलु ने यह खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता को पांच साल तक के लिए किसी भी तरह की जनहित याचिका दायर करने से प्रतिबंधित कर दिया।

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि एचआरसीई विभाग की नियमावली में एक नियम है जिसके अनुसार उसके सभी कर्मचारियों तथा अधिकारियों को कार्यभार ग्रहण करने से पहले हिन्दू देवता के सामने शपथ लेनी होती है कि वह हिन्दू धर्म का पालन करेगा। पीठ ने कहा कि धर्म के पालन के संबंध में पूर्वाग्रह और बदले की भावना को त्यागना पड़ता है।

पीठ ने कहा कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है तथा संविधान भी भगवान या संविधान के नाम पर शपथ लेने की अनुमति देता है। अदालत ने कहा, “कोई भी धर्म संकीर्ण मानसिकता या किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं सिखाता।” पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की भावनाओं की न तो सराहना की जा सकती है न ही इसे बर्दाश्त किया जा सकता है।

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Web Title: No religion teaches narrow mindedness: Court

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