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न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका में कोई टकराव नहीं, सभी राष्ट्र के लिये काम कर रहे: रिजीजू

By भाषा | Updated: September 26, 2021 20:20 IST

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गांधीनगर, 26 सितंबर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने रविवार को यहां कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच जीवंत संबंध महत्वपूर्ण हैं।

नए स्कूल ऑफ लॉ, फॉरेंसिक जस्टिस एंड पॉलिसी स्टडीज का उद्घाटन करने के बाद गांधीनगर स्थित नेशनल फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) में रिजीजू ने कहा, ''न्यायाधीश जो कहते और सोचते हैं, सरकार को उसे अमल में लाना चाहिये और ऐसा केवल अदालत की अवमानना के डर से नहीं किया जाना चाहिये।''

रिजीजू ने कहा, ''न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका अलग-अलग अंग हैं, लेकिन हम सभी देश के लिए काम करते हैं। बाहर के लोग सोचते हैं कि हम एक टकराव में लगे हुए हैं, कार्यक्षेत्र के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। हम सभी राष्ट्र के हित के लिए काम कर रहे हैं।''

मंत्री ने कहा, ''हमें मीडिया के माध्यम से उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों की टिप्पणियां और उनके द्वारा व्यक्त की गई नाराजगी तथा संतुष्टि के बारे में सुनने को मिलता है। न्यायाधीश जो भी कहते या सोचते हैं, उसे लागू करना हमारा काम है।''

रिजीजू ने कहा कि यह कार्यपालिका काम है कि वह अदालत के किसी अच्छे फैसले को "विवेकपूर्ण ढंग से लागू" करे।

उन्होंने कहा, ''लोकतंत्र में हमारे लिए (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) के बीच जीवंत संबंध होना बहुत जरूरी है... हमारे लिए जीवंत संबंध होना जरूरी है।''

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राज्य के कानून मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी और गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी के साथ उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमआर शाह, गुजरात उच्च न्यायालय की कार्यवाहक न्यायाधीश आरएम छाया और उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश मौजूद थे।

रिजीजू ने कहा कि लंबे समय तक कानूनों को लागू नहीं किए जाने की ''धारणा'' को नरेंद्र मोदी सरकार में काफी हद तक खत्म कर दिया गया है।

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री ने कहा, ''न्यायाधीशों से तारीफ सुनकर हमें अच्छा लगता है। लेकिन न्यायाधीश तभी हमारी तारीफ करेंगे जब हम अच्छा काम करेंगे।''

उन्होंने न्यायाधीशों को आश्वासन दिया कि सरकार "पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही" के साथ काम करेगी।

उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग की तरह 'ईज ऑफ न्‍याय' की भी बात की जानी चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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