देशमुख की संपत्ति जब्ती के संबंध में 10 जनवरी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं : अदालत

By भाषा | Updated: December 10, 2021 18:31 IST2021-12-10T18:31:20+5:302021-12-10T18:31:20+5:30

No coercive action till Jan 10 regarding confiscation of Deshmukh's assets: Court | देशमुख की संपत्ति जब्ती के संबंध में 10 जनवरी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं : अदालत

देशमुख की संपत्ति जब्ती के संबंध में 10 जनवरी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं : अदालत

मुंबई, 10 दिसंबर बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के निर्णय लेने वाला प्राधिकारी धन शोधन के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और उनकी पत्नी आरती देशमुख की संपत्ति की अस्थाई जब्ती करने के बारे में सुनवाई कर सकता है और अंतिम आदेश भी पारित कर सकता है, लेकिन वह इस संबंध में 10 जनवरी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने ईडी को निर्देश दिया कि वह धन शोधन मामले में अपनी संपत्तियों के अस्थाई रूप से जब्ती के एजेंसी के आदेश को चुनौती देने वाली आरती देशमुख की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करे।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अनिल देशमुख को इस संबंध में पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

याचिका में आरती देशमुख ने दावा किया है कि वह अपनी संपत्तियों की अस्थाई रूप से जब्ती संबंधी सुनवाई के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन एजेंसी इस संबंध में कानून का पालन नहीं कर रही है।

आरती के अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने इससे पहले दलील दी थी कि धन शोधन निषेध कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कानून के अनुरुप न्यायिक प्राधिकार तीन सदस्यीय होना चाहिए। इसमें एक अध्यक्ष और दो सदस्य होने चाहिए, जिनमें से एक कानूनी पृष्ठभूमि से होना चाहिए।

चौधरी ने दलील दी, ‘‘वर्तमान में इस प्राधिकार में सिर्फ एक सदस्य ही है, जिनकी कोई कानूनी पृष्ठभूमि नहीं है।’’

पिछले सप्ताह जब याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया था, तब पीठ ने कहा था कि प्राधिकार सुनवाई कर सकता है लेकिन उसे अंतिम आदेश पारित नहीं करना चाहिए।

हालांकि, ईडी ने बाद में इस मामले का जिक्र किया और कहा कि आदेश पारित करने से पहले उच्च न्यायालय ने उसका पक्ष नहीं सुना था।

शुक्रवार को ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि एक सदस्यीय प्राधिकार के पास भी कानून सुनवाई करने का अधिकार है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठा रहे हैं।’’

इस पर अदालत ने कहा कि प्रधिकार सुनवाई कर सकता है और अंतिम आदेश भी पारित कर सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘निश्चित ही, अगर कोई अंतिम आदेश पारित किया जाता है तो वह इस याचिका पर हमारे (उच्च न्यायालय) आदेश के दायरे में आयेगा। निर्णय लेने वाला प्राधिकार अगर आज से 10 जनवरी के बीच कोई आदेश पारित करता है तो हम यह स्पष्ट करते हैं कि ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता और उसकी संपत्ति के मामले में कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जायेगा।’’

संपत्ति जब्त करने संबंधी मामलों पर निर्णय के लिए धन शोधन कानून के तहत अर्द्ध न्यायिक प्राधिकार की व्यवस्था है।

प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल के प्रारंभ में धन शोधन मामले के संबंध में देशमुख और उनके परिवार की चार करोड़ रूपए से अधिक की संपत्ति अस्थाई रूप से जब्त कर ली थी।

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच के बाद केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी देशमुख के खिलाफ जांच शुरू की थी।

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Web Title: No coercive action till Jan 10 regarding confiscation of Deshmukh's assets: Court

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