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आदेश की समीक्षा के लिए किसी अपील पर विचार नहीं किया जाएगा: लोकपाल

By भाषा | Updated: September 9, 2021 17:15 IST

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(अश्विनी श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, नौ सितंबर भ्रष्टाचार विरोधी निकाय लोकपाल ने कहा है कि उसके द्वारा पारित किसी आदेश की समीक्षा के लिए शिकायतकर्ताओं की अपील या अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा। लोकपाल ने संबंधित कानून में प्रावधान नहीं होने का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की।

लोकपाल ने यह कदम उसके द्वारा पारित आदेश की अपील, समीक्षा या पुनर्विचार के लिए शिकायतकर्ताओं द्वारा अनुरोध भेजे जाने के कुछ मामलों के बाद उठाया है।

लोकपाल ने एक नोटिस में कहा, ‘‘यह उल्लेख किया जाता है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून, 2013 में भारत के लोकपाल की किसी पीठ द्वारा पारित आदेश की अपील, समीक्षा या पुनर्विचार के लिए कोई प्रावधान नहीं है। सभी संबंधित पक्षों को सूचित किया जाता है कि किसी आदेश की समीक्षा या पुनर्विचार के लिए किसी अपील या अनुरोध को भारत के लोकपाल द्वारा स्वीकार किया जाएगा।"

इस संबंध में एक संसदीय समिति ने भी विचार किया था और उसने मार्च में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को संबंधित कानूनों में संशोधन की व्यवहार्यता का पता लगाने को कहा था ताकि लोकपाल को अपने आदेशों पर पुनर्विचार और समीक्षा करने का अधिकार प्रदान किया जा सके।

लोकपाल ने समिति को अवगत कराया था कि उसने डीओपीटी से अनुरोध किया है कि वह लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून में उचित चरण में संशोधन के लिए आवश्यक कार्रवाई करे ताकि उसके द्वारा पारित आदेशों की समीक्षा करने की शक्ति को शामिल किया जा सके।

कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, "समिति डीओपीटी को लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून में संशोधन की व्यवहार्यता का पता लगाने की सिफारिश करती है ताकि लोकपाल को अपने आदेशों पर पुनर्विचार और समीक्षा करने का अधिकार प्रदान किया जा सके।’’

पीठ द्वारा पारित आदेश की समीक्षा के अनुरोध के संबंध में किसी नीति की सिफारिश करने के पहलू पर गौर करने के लिए लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने एक समिति का गठन किया था। समिति ने छह अक्टूबर, 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति में तीन लोकपाल सदस्य - न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी, डीके जैन और आईपी गौतम शामिल थे।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून में समीक्षा के अधिकार को शामिल करने पर विचार करने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया जा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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