एनआईवी के वैज्ञानिकों ने की रोग गंभीरता में वृद्धि के कारक कोरोना वायरस स्वरूप की पहचान
By भाषा | Updated: June 8, 2021 20:31 IST2021-06-08T20:31:52+5:302021-06-08T20:31:52+5:30

एनआईवी के वैज्ञानिकों ने की रोग गंभीरता में वृद्धि के कारक कोरोना वायरस स्वरूप की पहचान
नयी दिल्ली, आठ जून पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन और ब्राजील से लौटे दो लोगों के नमूनों से कोरोना वायरस के एक स्वरूप को पृथक किया है, जो चूहों में रोग गंभीरता वृद्धि का कारण नजर आया लेकिन फिलहाल इससे जनस्वास्थ्य को कोई बड़ी समस्या नजर नहीं आती।
बी.1.1.28.2 स्वरूप के दो नमूने भारतीय प्रयोगशालाओं द्वारा अब तक पृथक किए गए अपनी तरह के एकमात्र नमूने हैं।
दिसंबर 2020 में ब्रिटेन से लौटे एक यात्री तथा जनवरी 2021 में ब्राजील से लौटे एक यात्री की नाक/गले के स्वैब से वायरस के संबंधित स्वरूप को पृथक किया गया।
वायरस के इस स्वरूप की सबसे पहले ब्राजील में पहचान हुई थी। भारतीय वैज्ञानिकों ने देश में जारी सार्स-कोव-2 जीनोमिक निगरानी के तहत विषाणु के इस स्वरूप के नमूने एकत्र किए।
अध्ययन की प्रमुख लेखक एवं आईसीएमआर-एनआईवी पुणे से संबद्ध प्रज्ञा यादव ने कहा कि निष्कर्ष काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विषाणु के संबंधित स्वरूप को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘रुचि के स्वरूप’ में वर्गीकृत किया है।
अध्ययन में संबंधित स्वरूप को रोग गंभीरता वृद्धि से जुड़ा पाया गया। इसमें नौ सीरियाई चूहों को कोरोना वायरस के बी.1.1.28.2 स्वरूप से संक्रमित किया गया और फिर इनकी तुलना बी.1 स्वरूप से संक्रमित किए गए नौ जंतुओं से की गई।
यादव ने कहा कि संबंधित स्वरूप फिलहाल देश के लिए कोई जनस्वास्थ्य संबंधी समस्या उत्पन्न नहीं करता।
उन्होंने कहा कि अप्रैल में एक अध्ययन किया गया था, जिसमें कोवैक्सीन टीके के प्रभाव को परखा गया।
यादव ने कहा कि टीके की दो खुराकों ने बी.1.1.28.2 को निष्क्रिय कर दिया, इसलिए टीकाकरण लोगों को इस स्वरूप से बचाने का काम करेगा।
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