बाढ़ से जूझ रही बिहार सरकार को केंद्र से और मदद की दरकार है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज (26 जुलाई) विधान सभा में माना कि केंद्र सरकार से और सहयोग चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य में बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के बाद केंद्र को वित्तीय सहायता के लिए एक ज्ञापन भेजेगी. उन्होंने राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी द्वारा विधानसभा में पूछे गये एक सवाल के उत्तर में कहा कि सरकार बाढ़ प्रभावित परिवारों के बैंक खातों में 6000 रुपये की सहायता राशि भेजने की प्रक्रिया में है.
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अपनी और से निरंतर काम लेते रहेंगे. मुख्यमंत्री विधानसभा में राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी के सवाल का जवाब दे रहे थे कि आखिर केंद्र के तरफ से कोई बिहार के बाढ़ के बारे में सुध ली गई है या नहीं? सिद्दीकी का कहना था कि क्या अभी तक कोई केंद्रीय मंत्री या केंद्रीय दल राज्य में बाढ़ का जायजा लेने आया है? उनके अनुसार बाढ़ प्रभावित इलाक़े में अभी तक बिहार के किसी केंद्रीय मंत्री को भी नहीं देखा गया है. इस पर नीतीश कुमार का कहना था कि केंद्र को बाढ़ से हुए नुक़सान के बारे में विस्तृत मेमोरैंडम भेजा जा रहा है. उसके बाद केंद्रीय टीम प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी. लेकिन अभी तक उन्होंने एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीम और सेना के हेलीकॉप्टर की जो भी मांग की है उसे राज्य सरकार को उपलब्ध कराया गया है. हालांकि उन्होंने कहा कि बाढ़ के कुछ दौर और आने वाले हैं, इसलिए अभी बहुत सावधानी से रहना होगा.
इस जवाब के दौरान नीतीश कुमार का केंद्र द्वारा दो वर्ष पूर्व केवल नगद 2400 करोड़ करीब 38 लाख परिवार के बीच वितरित किए जाने के बावजूद केंद्र द्वारा मात्र 16 सौ करोड़ किए जाने का मामला भी उठ गया, जब उन्होंने कहा कि की इतनी बड़ी राशि वितरित करने के बावजूद केंद्र सरकार अपने मापदंड से सरकार को सहायता देती है.
वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, बिहार के 13 जिलों में पिछले दो सप्ताह से बाढ़ से कम-से-कम 123 व्यक्तियों की मौत हो गई है और 82 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बाढ़ प्रभावित परिवारों को 6000 रुपये का भुगतान राहत सहायता के तौर पर कर रही है. यह धनराशि उनके बैंक खातों में डाली जायेगी. उन्होंने 2017 के बाढ़ का उल्लेख करते हुए कहा कि इतनी ही राशि का राहत का भुगतान उस समय 38 लाख परिवारों को किया गया था. उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों का राज्य के संसाधनों पर पहला अधिकार है.