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राहुल के आपातकाल को लेकर दिए गए बयान से नीतीश असहमत

By भाषा | Updated: March 3, 2021 21:40 IST

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पटना, तीन मार्च बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान से असहमति जताते हुए बुधवार को कहा कि यह उनका निजी विचार है।

गौरतलब है कि अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के साथ हुई बातचीत के दौरान आपातकाल पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा था कि आपातकाल में जो भी हुआ वह “गलत” था और उसमें तथा आज की परिस्थिति में मूलभूत अंतर है।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने भारत के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का प्रयास कभी नहीं किया और कांग्रेस के पास ऐसा करने की काबिलियत भी नहीं है। हम ऐसा करना चाहें तब भी हमारी संरचना ऐसी है कि हम नहीं कर पाएंगे।”

बिहार विधानमंडल परिसर में आज पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस संबंध में सवाल करने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पहले से सबको मालूम है कि देश में आपातकाल लगाना गलत था। उसके शिकार हम सभी हुए। हमलोग उस समय युवा अवस्था में थे।’’

उन्होंने कहा कि उस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के नेतृत्व में पूरे देश में आंदोलन चला था। बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारी हुयी। आपातकाल के नाम पर लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए।

नीतीश ने कहा कि उसके बाद हुए चुनाव में देश की जनता ने कांग्रेस को पराजित कर अपना संदेश दे दिया था कि देश उसके विरोध में है। लोकनायक के विचारों से प्रभावित होकर देश की सभी विपक्षी पार्टियों ने एक साथ आकर जनता पार्टी का गठन किया। इसके बाद केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने आज जो कुछ भी कहा है, यह उनका निजी विचार है।

फिल्म हस्तियों पर आज हुई आयकर विभाग की कार्रवाई को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए नीतीश ने कहा कि ‘‘यह आय कर विभाग का मामला है। विभाग को नियम और कानून के तहत अधिकार दिये गये हैं। ऐसे में मेरा प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है।’’

बिहार की जेलों में आज एक साथ हुई छापेमारी को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जेल के अंदर की सभी चीजों पर नजर रखनी जरुरी है। समीक्षा बैठक के दौरान हम इन चीजों की जानकारी लेते रहते हैं कि कहां क्या स्थिति है। जेल का संचालन कैसे हो रहा है, जेल के अंदर क्या गतिविधि चल रही है, इसको कभी-कभी देखना जरुरी होता है। इसी को लेकर जेलों में छापेमारी की जाती है। यह बहुत ही आवश्यक है। छापेमारी के दौरान अधिकारियों के समक्ष जो तथ्य सामने आये हैं, उस पर उपयुक्त कार्रवाई की जायेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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