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गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद सहित इन दो बड़े नेताओं ने थामा BJP का दामन

By रामदीप मिश्रा | Updated: April 4, 2019 13:12 IST

सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में शमिल होने के महज तीन दिन बाद निषाद पार्टी अचानक महागठबंधन से अलग हो गई थी और एक घंटे के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और पार्टी के अन्य नेताओं की लखनऊ में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। 

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गुरुवार (चार अप्रैल) को बड़े नेताओं ने दामन थाम लिया। इनमें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सांसद प्रवीण निषाद और पिछले में कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पूर्व राज्य सभा सांसद आनंदा भास्कर शामिल हैं। ये दोनों नेता केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हुए हैं। 

वहीं, सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में शमिल होने के महज तीन दिन बाद निषाद पार्टी अचानक महागठबंधन से अलग हो गई थी और एक घंटे के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और पार्टी के अन्य नेताओं की लखनऊ में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। 

बताया गया था कि निषाद पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच महाराजगंज लोकसभा सीट को लेकर मतभेद था, निषाद पार्टी इसे अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ना चाहती थी, जबकि समाजवादी पार्टी इसके लिये तैयार नहीं थी। निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद हैं और उनके पुत्र प्रवीण निषाद ने 2018 के में सपा के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा उपचुनाव जीता था। यह जीत इसलिये मायने रखती थी क्योंकि यह सीट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपनी लोकसभा सीट थी और वह पहले कई बार इस सीट से सांसद रह चुके है। 

इधर, गोरखपुर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राम भुवल निषाद ने 30 मार्च को दावा किया था कि निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद ने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन इसलिये छोड़ा क्योंकि उन्हें बीजेपी से कथित रूप से काफी पैसा दिया गया है। हालांकि, सपा प्रत्याशी के इस दावे को संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद ने सिरे से खारिज कर दिया था। राम भुवल निषाद ने कहा था कि संजय निषाद ने केवल पैसे के लिये पाला बदला जो उन्हें भाजपा द्वारा दिया गया है। वह धोखेबाज हैं और समाज के सम्मान के लिये कभी नही लड़ सकते।गोरखपुर के वर्तमान सांसद प्रवीण निषाद ने कहा था कि उन्होंने (सपा) ने मुझे अंधेरे में रखा, मुझसे कहा कि चुनाव की तैयारी करो और उसी समय राम भुवल निषाद को पार्टी का प्रत्याशी बना दिया। जहां तक बीजेपी से पैसे लेने का आरोप राम भुवल निषाद लगा रहे हैं वह पूरी तरह से आधारहीन है। उन्होंने दावा किया था कि उनकी मांग थी कि निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल किया जाए, जिसे योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मान लिया है। (समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर)

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